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देखो न सखा यूँ प्यार से तुम,मैं राधे हूं पर श्याम हुई

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सुषमा भंडारी देखो न सखा यूँ प्यार से तुम मैं राधे हूं पर श्याम हुई तेरी छवि न्यारी औ त्रिपुरारी मैं खुश हूं कि बदनाम हुई।।।।।।।। इल्ज़ाम लगाएगी दुनिया ये उनका नजरिया मेरा नहीं ओ श्याम सखा अब सुन तो ले तेरी मेरी कहानी आम हुई मैं राधे हूं मैं श्याम हुई मैं खुश हूं कि बदनाम हुई।।।।।।।।।। मैं प्रेम के पथ पर जाउंगी मैं प्रेम गीत ही गाउँगी बाधाएँ पग- पगआयेंगी मैं गुल से अब गुलफाम हुई मैं राधे हूं मैं श्याम हुई मैं खुश हूं कि बदनाम हुई।।।।।। जीवन का हर क्षण तुमसे है सृष्टि का हर कण तुमसे है तुम बिन मेरा अस्तित्व नहीं तुझ बिन सुबह ना शाम हुई मैं राधे हूं मैं श्याम हुई मैं खुश हूँ कि बदनाम हुई

वह नीर भरी दुःख की बदली

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वह नीर भरी दुःख की बदली छोड़ अमरलोक वेदना में चली क्योंकि---- उसके पलकों में निर्झरणी मचली वह बीन भी  है वह रागिनी भी सीमा का वह भ्रम वह है स्वर संगम वह रेखा का क्रम जिसने नीहर का हार रचा अतीत के चलचित्र खींचे दीपशिखा की लौ जलाई चाहिए जिसे मिटने का स्वाद छायावाद का वह दीप स्तंभ पथ का वह साथी सच्चा  रश्मि का तड़ित विलास  वह श्रृंखला की अटूट कड़ी महान देवी महादेवी ।   # डॉ शेख अब्दुल वहाब           तमिलनाडु

माँ चिन्तपूर्णी चिंता में•••

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सुरेखा शर्मा (स्वतन्त्र लेखन/समीक्षक) नारायण •••नारायण •• "माते! यह मैं क्या देख रहा हूं ••! जगत की चिंता दूर करने वाली माँ चिन्तपूर्णी  आज स्वयं चिन्तित हैं •••क्या बात है माँ ,आप किस दुविधा में हैं ?"  माँ दुर्गा कुछ विचार करते हुए बोली, 'तुम नहीं समझोगे नारद ।' "माते,जब तक आप कुछ बताएंगी नहीं तो मैं कैसे समझूंगा भला ," नारायण ••••नारायण । " तुम जानते हो नारद,  आजकल भूलोक वासी पूजा-पाठ बहुत करने लगे हैं । मेरे भक्तों  की संख्या दिन- पर -दिन बढ़ती जा रही है । तुम देखना  आने वाले इन नौ दिनों में तो चारों ओर मेरा ही गुणगान किया जाएगा । भूखे- प्यासे रहकर  उपवास कर नवरात्र अनुष्ठान संपन्न करेंगे । उपवास तो कहने मात्र के लिए होते हैं, सारा दिन फलाहार के नाम पर इतना खाते हैं कि पूछो मत।" ना••रायण••••नारायण, "पर माते,इसमें चिंता की क्या बात है, बल्कि  आप को तो प्रसन्न  होना चाहिए कि पृथ्वी  वासी आपकी भक्ति में डूबने लगे हैं। वे जानते हैंं कि आपकी पूजा से ही उनका कल्याण होगा। "   " यही तो मैं तुम्हे समझाना चाहती हूँ नारद, अब तुम देखो गली-गल

भँवरे गुंजन कर रहे,फूल रहे मुख मोड़

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लेखिका - सुषमा भंडारी भँवरे गुंजन कर रहे फूल रहे मुख मोड़ । कोरोना का डर हुआ रिश्ते दिये हैं तोड़। । बाग- बगीचे पूछते  क्यूँ धरती खामोश। टेसू और पलाश में क्यूँ फैला है रोष।। रंगों का मेला लगा फिर भी सब रंगहीन । बासन्ती खामोश है पवन हुई गमगीन।। भ्रमर ना चूमे फूल  कोरोना भरमाय। संक्रमण की है घड़ी  कुछ भी समझ न आय।। मकरंद भी सूखा पडा भ्रमर पास न आय। मौसम के प्रतिकूल सब विपदा बढती जाय।। विपदा इतनी बढ़ गई  घर में हैं सब बंद। घर का राशन भी खत्म दूर हुआ आनंद। ।

कोरोना हुआ हावी,बचो इस से

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लेखिका - सुषमा भंडारी कोरोना हुआ हावी, बचो इस से कोरोना हुआ हावी , बचो इस से 1) काँप रहा है चीन भी  विश्व- व्यापार ठप्प  लुढ़के सब बाजार ही शेयर मारें गप्प छूने से हुआ हावी बचो इस से  कोरोना हुआ हावी बचो इस से 2) भारत की सरकार भी नित- नित करे उपाय देखो क्या लिखे यहाँ  कोरोना अध्याय छूने से हुआ हावी बचो इस से छूने से हुआ हावी बचो इस से 3)घर से बाहर हो गया जाना भी दुश्वार  जाने क्यूँ लगने लगे सब के सब लाचार छूने से हुआ हावी बचो इस से छूने से हुआ हावी बचो इस से 4)बन्द सिनेमा घर हुये होटल, जिम और मॉल शादी में रौनक नहीं पड़े हैंं खाली हॉल छूने से हुआ हावी बचो इस से छूने से हुआ हावी बचो इस से 5) साबुन, नींबू बन गये अब इसके हथियार  हाथ मिलाना छोड़कर करना नमस्कार  छूने से हुआ हावी बचो इस से छूने से हुआ हावी बचो इस से 6) अब तो केवल लॉक डाउन  है इसका उपचार  आओ इसकी कडियां तोड़े  करें इसे लाचार  छूने से हुआ हावी बचो इस से छूने से हुआ हावी बचो इस से

आम जनता से लेकर मरीज़ बेहाल कोई हेल्प लाइन काम नहीं कर रही

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लोग घरों में सड़कों पर सन्नाटा

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