लॉक डाउन हर- पल ,हर-क्षण खौफ़ का तजुर्बा
सुषमा भंडारी लॉक डाउन का तजुर्बा लॉक डाउन जीवन का सबसे बड़ा तजुर्बा मेरे लिए ही नहीं समस्त मानव जाति के लिये हर- पल ,हर-क्षण खौफ़ का तजुर्बा अपने ही घर में कैद होने का तजुर्बा भूख- प्यास- बदहाली का तजुर्बा सबके साथ रहकर भी अकेलेपन का तजुर्बा आदमियत का तजुर्बा इंसानियत का तजुर्बा रुपये की कीमत का तजुर्बा अहम व औकात की कहानी का तजुर्बा चहल- पहल से सूनेपन तक जाने का तजुर्बा अपने गाँव, अपने रिश्ते, अपने परिवारों के विस्थापन का तजुर्बा विदेशों की चकाचौंध का तजुर्बा घर लौटते प्रवासियों का तजुर्बा मालिकों का तजुर्बा मजदूरों का तजुर्बा दिहाड़ी मजदूरों की भूख का तजुर्बा सरकार का तजुर्बा सरकारी कर्मचारियों का तजुर्बा घंटों तक कतार में लगने के बाद खाना व राशन मिलने का दर्दनाक तजुर्बा सडकों पर ही नवजातों का तजुर्बा बिलखते बच्चों का तजुर्बा रेल की पटरियों पर चलते, मरते ,कटते मजदूरों जा तजुर्बा स्वच्छता की अनदेखी करने पर मिले हादसों क तजुर्बा स्वच्छता को सुरक्षित रखने के साधनों का तजुर्बा स्वच्छ्ता सैनिकों के कार्य , उनकी मौत का तजुर्बा बीमारों की सेवा करने वाले सेवकों ( डॉक्टर, नर्स) का तजुर्बा याता