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बायजूस द्वारा व्यापक ऑनलाइन ट्यूशन कार्यक्रम

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नयी दिल्ली : विश्व की सबसे मूल्यवान एडटेक कंपनी बायजूस ने ‘बायजूस क्लासेस’ के शुभारम्भ की घोषणा की है – यह ऑनलाइन ट्यूशन प्रदान करने वाला एक व्यापक कार्यक्रम है जिसका लक्ष्य स्कूली छात्रों के लिए ट्यूशन को फिर से परिभाषित करना है। इसके साथ, छात्रों को अब अपने घरों के आराम और सुरक्षा के साथ समर्पित संरक्षकों से एक-पर-एक मार्गदर्शन, भारत के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों से त्वरित संदेह समाधान और उनके निर्धारित ऑनलाइन कक्षाओं तक पहुँच प्राप्त है। अपनी तरह की पहली पेशकश में, ’बायजूस क्लासेस’ का लक्ष्य छात्रों को स्कूल के बाद के ट्यूशन कक्षाओं का सभी व्यक्तिगत लाभ प्रदान करना है। बायजूस की सह-संस्थापक और स्वयं एक समर्पित शिक्षिका दिव्या गोकुलनाथ भी इन कक्षाओं को लेंगी। इस शुभारम्भ की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा, "जैसा कि विश्व नए सामान्य का आलिंगन करने को तैयार है, हम विश्वास करते हैं कि छात्रों की शिक्षा को हर दृष्टिकोण से प्राथमिकता मिलनी चाहिए। हमारा नया उत्पाद, ‘बायजूस क्लासेस’ हर छात्र और अभिभावक को उनकी आवश्यकतानुसार देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों की कक्षाओं तक पहुँच, तत्काल संदेह समाधान और

समय भागता जा रहा

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●●● डॉ• मुक्ता ●●● आजकल एक छत के नीचे रहते संवाद का सिलसिला थम गया सब अपने-अपने द्वीप में क़ैद आत्मजों की झलक पाने को आतुर हज़ारों ग़िले-शिक़वे मन में लिए आंसुओं के सैलाब में डूबते-उतराते मौन का आवरण ओढ़े हक़ीक़त को उजागर करने में असफल खुद से ग़ुफ़्तगू करते और बयान करते दिल की दास्तान आ गया यह कैसा समां हर ओर छाया धुआं ही धुआं और कैसा है यह विचित्र-सा दौर घोर सन्नाटा पसरा चहुंओर शेष रही नहीं संबंधों की गरिमा बढ़ रहा अजनबीपन का अहसास जहां आदमी से आदमी है अनजान न ही कोई संबंध, न ही सरोकार पास रहते मन की दूरियां इतनी बढ़ीं  जिन्हें पाटना, दूर...बहुत दूर तक नहीं मुमक़िन, सर्वथा असंभव   कैसे रिश्ते कैसे रिश्ते नहीं जान पाता मन क्यों बंधे हम इनसे ना स्नेह, ना प्यार, ना विश्वास ना कोई उम्मीद किसी से फिर भी जीवन ढोते चाहकर भी कभी मुक्त नहीं होते   कश्तियां  कश्तियां डूब जातीं तूफ़ान में हस्तियां डूब जाती अभिमान में आकाश की बुलंदियों को छूते वे शख्स जो मिटा डालते सबकी खुशी के लिए अपना अस्तित्व और राग-द्वेष से ऊपर उठ अहं भाव को तज नि:स्वार्थ भाव से सामंजस्यता की राह पर चलते प्रतिशोध नहीं परिवर्तन की अलख जगात

हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी द्वारा भाषाओं के संरक्षण में शिक्षकों की भूमिका पर चर्चा

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नयी दिल्ली - हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी द्वारा 'भाषाओं के संरक्षण में शिक्षकों की भूमिका' विषयक वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस वेब संगोष्ठी के विशिष्ट वक्ताओं के रूप में शिक्षाविद, लेखिका, समीक्षक एवं मीडिया विश्लेषक प्रो. कुमुद शर्मा , कवि, लेखक एवं प्रशासनिक सेवा अधिकारी (आईएएस) राकेश मिश्र, वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष अवनीश कुमार तथा हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी के अध्यक्ष सुधाकर पाठक उपस्थित थे। हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी की त्रैमासिक पत्रिका 'हिन्दुस्तानी भाषा भारती' के संथाली भाषा विशेषांक के लोकार्पण के साथ ही आयोजन का शुभारंभ किया गया। इस संगोष्ठी को दो सत्रों में आयोजित किया गया। प्रथम सत्र में विशिष्ट वक्ताओं ने भाषाओं के संरक्षण में शिक्षकों की रचनात्मक एवं महत्वपूर्ण भूमिका के संबंध में अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए वहीं दूसरे सत्र में प्रतिभागियों के लिए प्रश्नोत्तर सत्र किया गया जहाँ वक्ताओं ने उनके जिज्ञासाओं एवं प्रश्नों का तर्कपूर्ण उत्तर दिया। साहित्य एवं मीडिया से लम्बे समय से जुड़े तथा ऑल इंडिया रेडियो, राँची में कार्यरत सुनील बादल ने संथाल

एमएसएमई को वैश्विक प्रतिस्पर्धा योग्य बनाने के लिए अभियान ‘‘ग्लोबल भारत’’ लॉन्च

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नई दिल्ली । एस ए पी इंडिया ने ग्लोबल भारत के लॉन्च की घोषणा की। यह प्रोग्राम भारतीय एमएसएमई को वैश्विक प्रतिस्पर्धा करने योग्य बनाने के लिए डिजिटल टेक्नॉलॉजी उपलब्ध कराएगा। नैसकॉम फाउंडेशन, यूनाईटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) और प्रथम इन्फोटेक फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित यह कार्यक्रम एमएसएमई सेक्टर को सशक्त बनाने के लिए भारत सरकार के विज़न में सहयोग करेगा और उन्हें वैश्विक बाजार, कार्यबल के लिए डिजिटल स्किल एवं व्यवसायिक प्रक्रियाओं में परिवर्तन करने के साधन उपलब्ध कराएगा। मौजूदा व्यवसायिक वातावरण एवं अर्थव्यवस्था की स्थिति देखते हुए ग्लोबल भारत भारतीय एमएसएमई को भविष्य के लिए तैयार करेगा तथा निम्नलिखित 3 अभियान अपनाकर ज्यादा एफिशियंसी लेकर आएगा: वैश्विक बाजार की एक्सेस प्राप्त करना: एमएसएमई को एस ए पी अरीबा डिस्कवरी की स्वतंत्र एक्सेस मिलेगी, जहां पर खरीददार सोर्सिंग की जरूरतें पोस्ट कर सकेंगे और अरीबी नेटवर्क के कोई भी चार मिलियन सप्लायर वस्तु व सेवाएं देने की अपनी सामर्थ्य के अनुरूप उन पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकेंगे। 31 दिसंबर, 2020 तक इसके लिए कोई शुल्क नहीं होगा। अरीबा नेट

“एमजी डेवलपर प्रोग्राम एंड ग्रांट” के तहत 6 और स्टार्ट-अप्स के साथ करार

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गुरुग्राम : एमजी (मॉरिस गैराज) मोटर इंडिया ने घोषणा की कि उसने अपने मौजूदा एमजी डेवलपर प्रोग्राम एंड ग्रांट के लिए 6 और स्टार्ट-अप्स के साथ करार किया है। छह फाइनलिस्ट में हाईवे डिलाइट, सोशलकोर, इनकैबएक्स, कैमकॉम, क्लियरक्वोट और एलेक्सा-आधारित प्रोजेक्ट मीसीक्स शामिल हैं। इन स्टार्ट-अप्स को टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स से ग्रांट और मेंटरिंग मिलेगी और चयनित प्रोजेक्ट्स पर विशेष एमजी टीमों के साथ सीधे काम करने का अवसर मिल सकता है। स्टार्ट-अप कम्युनिटी के भीतर इनोवेशन को प्रोत्साहित करने पर अपना फोकस रखते हुए एमजी मोटर इंडिया ने भारत के ऑटोमोबाइल स्पेस में इनोवेशन को आगे बढ़ाने के लिए 2017 से अब तक पहले ही 60 से अधिक स्टार्ट-अप को सपोर्ट किया है। इस तरह के स्टार्ट-अप इंजन एंड एमिशन, टेक्नोलॉजी, कार में चाइल्ड सेफ्टी, नेविगेशन, कनेक्टिविटी और इलेक्ट्रिक वाहनों के इकोसिस्टम के साथ-साथ दूसरों के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। कार्यक्रम का समग्र उद्देश्य एक विशेष अनुदान का निर्माण कर स्थानीय स्टार्ट-अप कम्युनिटी का समर्थन करना है। ब्रांड स्वदेशी रूप से इनोवेशन को बढ़ावा देने का इरादा रखता है और भारत में

PCOD/PCOS से पाए छुटकारा इन घरेलु नुस्खों के साथ : डॉ. चंचल शर्मा

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नई दिल्ली : इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी लोग न वक़्त पर खाना कहते है, न पूरी नींद ले पा रहे है, यहाँ तक की खुद के लिए भी समय निकलना मुश्किल हो जाता है और जब बात महिलाओं की आती  है तो स्थिति और भी बिगड़ जाती है, दिन भर ऑफिस के काम रहना और फिर शाम को घर लौट कर घर काम करना, बच्चों का ख्याल रखना। आज के समय में हर पाँच में से एक महिला पीसीओडी/पीसीओएस से ग्रस्त है, महिलाएं शुरुवात में होने वाले लक्षणों को नज़रअंदाज़ करती है। जिससे उम्र बढ़ते-बढ़ते यह लक्षण पीसीओडी/पीसीओएस में परिवर्तित हो जाती है। पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (PCOD) एक ऐसी मेडिकल कंडिशन है, जिसमें आमतौर पर रिप्रोडक्टिव उम्र की महिलाओं में हॉर्मोनस के असंतुलन (hormonal imbalance) पाया जाता है। इसमें महिला के शरीर में male हॉरमोन – 'Androgen' – का लेवल बढ़ जाता है व ओवरीज पर एक से ज्यादा सिस्ट हो जाते हैं। ● यह समस्या आनुवांशिक रूप से भी हो सकती है और ज्यादा वज़न होने पर भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। ज़्यादा तनाव भरी जिंदगी भी इसका एक मुख्य कारण हो सकती है। यह समस्या 13-40  की महिला एवं बच्चिय

पिता पर आधारित साझा  ई बुक साझा संकलन का लोकार्पण एवं सम्मान समारोह

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जोधपुर @ वेब पोर्टल साहित्यदर्शन डॉट कॉम द्वारा प्रकाशित साझा ई बुक संकलन का भव्य लोकार्पण एवं सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ । इस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में सुधीर सिंह सुधाकर शिकरत की वही कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ. प्रियंका 'सोनी प्रीत' भी उपस्थित थी । मंच को सम्बोधित करते हुए अध्यक्ष डॉ. सोनी ने मंच को सम्बोधित करते हुए कहा कि पिता परिवार की आधारशिला हैं । इस पुस्तक में गद्य एवं पद्य रचनाओं के माध्यम से पिता जैसे सुरक्षा कवच का गुणगान किया गया । इनसे पहले कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुधीर सिंह सुधाकर ने मंच को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज माँ पर सबसे ज्यादा रचना एवं पुस्तकें आ रही हैं इसी बीच पिता पर यह एक अनुपम कृति है । उन्होंने संपादक एल० आर० सेजु थोब 'प्रिंस' सह संपादक भूताराम जाखल एवं मोनिका महाजन की इस कार्य हेतु भूरी भूरी प्रसंशा की । सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए ई बुक के संपादक एल आर सेजु थोब 'प्रिंस' बताया कि यह मेरे पिता स्व. खिया राम को समर्पित हैं । उन हर पिता को समर्पित है जो संतान के प्रति अपना दायित्व भलीभांति से निभाते हैं ।  गौरतलब है कि फादर्स