दलित बेटी की चिता और बाबरी मस्जिद विध्वंस का फैसला यानी इंसाफ की विदाई
बाबरी मस्जिद विध्वंस के दृश्य को हजारों–लाखों लोगों ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से देश–विदेश में देखा था. इसके बावजूद देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई करीब 28 साल बाद भी उस आपराधिक कृत्य के दोषियों की पहचान कर पाने में असमर्थ रही. लखनऊ . रिहाई मंच ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में हाई कोर्ट द्वारा साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपियों के बरी किए जाने के फैसले पर कहा कि यह मात्र निर्णय है न्याय नहीं. मंच ने हाथरस में हुए दलित लड़की के सामूहिक बलात्कार मामले में प्रदेश सरकार की आपराधिक भूमिका पर सवाल उठाते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के दृश्य को हजारों–लाखों लोगों ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से देश–विदेश में देखा था. इसके बावजूद देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई करीब 28 साल बाद भी उस आपराधिक कृत्य के दोषियों की पहचान कर पाने में असमर्थ रही. उसने बेशर्मी के साथ अदालत को अपने निष्कर्ष से अवगत कराया और पूरी तत्परता से हाईकोर्ट ने उसे स्वीकार कर देश के न्यायिक इतिहास में एक और काला पन्ना जोड़ दिया. यह पहला अवसर नहीं है जब