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दलित बेटी की चिता और बाबरी मस्जिद विध्वंस का फैसला यानी इंसाफ की विदाई

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बाबरी मस्जिद विध्वंस के दृश्य को हजारों–लाखों लोगों ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से देश–विदेश में देखा था. इसके बावजूद देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई करीब 28 साल बाद भी उस आपराधिक कृत्य के दोषियों की पहचान कर पाने में असमर्थ रही. लखनऊ . रिहाई मंच ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में हाई कोर्ट द्वारा साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपियों के बरी किए जाने के फैसले पर कहा कि यह मात्र निर्णय है न्याय नहीं. मंच ने हाथरस में हुए दलित लड़की के सामूहिक बलात्कार मामले में प्रदेश सरकार की आपराधिक भूमिका पर सवाल उठाते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के दृश्य को हजारों–लाखों लोगों ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से देश–विदेश में देखा था. इसके बावजूद देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई करीब 28 साल बाद भी उस आपराधिक कृत्य के दोषियों की पहचान कर पाने में असमर्थ रही. उसने बेशर्मी के साथ अदालत को अपने निष्कर्ष से अवगत कराया और पूरी तत्परता से हाईकोर्ट ने उसे स्वीकार कर देश के न्यायिक इतिहास में एक और काला पन्ना जोड़ दिया. यह पहला अवसर नहीं है जब

कविता // सत्य अहिंसा का पुजारी,जिसके आगे ताज झुका

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विजय सिंह बिष्ट गांधी बाबा क्या जादू था,       तेरी मीठी बोली में, चोर भी साधू बन जाते थे        आकर तेरी टोली में, आजादी की दुल्हन लाया         सत्याग्रह की डोली में, देशभक्ति का रंग भर दिया,           तूने राष्ट्र रंगोली में, सात लाख संगीने थी,      रोक सकी ना तेरे कदम,            बोलो वंदेमातरम।। निकल पड़ा जब नमक बनाने,     साबरमती का संत महान, हंसी उड़ाने वाले अफसर, देख रहे थे हो खिसियान, पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण,      जागा सारा हिंदुस्तान, सत्ता तब लंदन की डोली,     आया हो जैसे तूफ़ान जंग लड़ी तूने लेकर,     सत्य अहिंसा का परचम,          बोलो वंदेमातरम।। खादी की वो गांधी टोपी,      जिसके आगे ताज झुका, सत्य अहिंसा का पुजारी,      जिसके आगे ताज झुका, चरखे की सरगम को सुनकर,        संगीनों का साज झुका, नन्हीं चिड़िया से डरकर,       घोर शिकारी बाज झुका, पक्का हो ईमान अगर तो,       बन जाता है वह रुस्तम,               बोलो वंदेमातरम। मिलकर रहना,भेद न करना,       सबका मालिक ईश्वर है, हिंदू , मुस्लिम,सिक्ख , ईसाई,      नहीं किसी में अंतर है, सबकी धरती,देश सभी का,      सबको जीने का हक है, द

कविता // बा के बिन गांधी नहीं गाँधी बिन न देश

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सुषमा भंडारी दोहे  सत्य-स्वच्छता से हुआ बापू तेरा नेह। चली अहिंसा राह पर तेरी हल्की देह ।। बापू के व्यक्तित्व- सा मिला न कोई और । तेरे कारण ही मिली  स्वदेशी ये ठौर।। हाथों से धोती बुनी किया देश का मान । खादी के सम्मान से विश्व हुआ हैरान ।। पग- पग सिखलाया हमें राघव राजा राम। शतकों तक यूँ ही रहे बापू तेरा नाम।। राष्ट्रपिता बापू तेरा जन्मोत्सव है आज। स्वच्छता ही सेवा सही किया सदा आगाज।। जब तक जीवित तुम रहे रहे सदा अनमोल। भर स्वदेशी चेतना दी आजादी घोल।। सत्य अहिंसा का हमें सिखलाया था पाठ। वर्ष हुये हैं डेड़ सौ स्वच्छ भारत के ठाठ।  बा के बिन गांधी नहीं गाँधी बिन न देश। पाठ अहिंसा का पढा दिला दिया स्वदेश।। वर्ष डेढ सौ हो गये जन्मे दो आदर्श। आओ मनायें जयन्ती मिला हमें उत्कर्ष।। गाँधी और लाल ने  किया देश का नाम । युग दृष्टा युग पुरुष किये अनोखे काम। । सुषमा भंडारी  

देश का बॉडी मास इंडेक्स बदल गया

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गांधी बाबा क्या जादू था,तेरी मीठी बोली में

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गाँधी तेरे देश में हो रहा अजब कमाल

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बीएसडीयू जयपुर ने मौजूदा और नए छात्रों के लिए 100 फीसदी शुल्क माफी की घोषणा की

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जयपुर - भारतीय स्किल डवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) जयपुर की स्पाॅन्सर बाॅडी राजेंद्र और उर्सुला जोशी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरयूजेसीटी) ने सत्र 2020-21 के लिए बी. वोक और एम. वोक कार्यक्रमों में नामांकित विश्वविद्यालय के सभी मौजूदा छात्रों के लिए ट्यूशन फीस माफी की घोषणा की है।   बीएसडीयू के प्रेसिडेंट डॉ. अचिन्त्य चैधरी  संकट के इस दौर में राजेंद्र और उर्सुला जोशी चैरिटेबल ट्रस्ट के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि हालांकि भारत के पास दुनिया के कुछ बहुत अच्छे शैक्षणिक संस्थान हैं, लेकिन पिछले कुछ दशकों से कुछ खास बदलाव नहीं आया है। उन्होंने आगे कहा कि ट्यूशन फीस में माफी, निश्चित रूप से इच्छुक छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ाएगी, साथ ही उनके माता-पिता को भी सहारा मिलेगा जो कोविड-19 के चलते आर्थिक समस्याआंे से जूझ रहे हैं।   बीएसडीयू ने कहा कि विश्वविद्यालय ने नया प्रवेश लेने वाले बी.वोक के ऐसे छात्रों के लिए 100 फीसदी ट्यूशन फीस माफी नीति को भी आगे बढ़ाया है, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय रुपए चार लाख से अधिक नहीं है। छात्रों द्वारा जिन वित्तीय कठिनाइयों का सामना किया जा रहा है, उन्हें देखत