भाषा में शुद्धतावाद का आग्रह ठीक नहीं : आलोक राय
० योगेश भट्ट ० नई दिल्ली । भाषा में शुद्धिकरण के आग्रह के स्पष्ट निहितार्थ हैं। यह शुद्धतावाद ही समस्या की प्रमुख जड़ है,चाहे आप उसे भाषा से जोड़ें या धर्म से। यह भाषा का नहीं, सियासत का मसला है। 'हिन्दी राष्ट्रवाद' ठोस और तथ्यपरक ढंग से इस समस्या को रेखांकित करती है और इसके खतरों से आगाह करती है।यह कहना था विद्वानों का जो वरिष्ठ लेखक आलोक राय की पुस्तक 'हिन्दी राष्ट्रवाद' के लोकार्पण में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवेलपिंग सोसायटीज ( सीएसडीएस) में मंगलवार शाम उपस्थित थे। इस मौके पर आलोक राय से लेखक डॉ. अतहर फारुकी और लेखक- संपादक गिरिराज किराडू ने खास बातचीत की और उपस्थित लोगों ने भी आलोक राय से संवाद किया। यह आयोजन राजकमल प्रकाशन और सीएसडीएस द्वारा मिलकर किया गया। 'हिन्दी राष्ट्रवाद' को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। इस मौके पर लेखक डॉ. अतहर फारुकी ने कहा कि 'हिन्दी राष्ट्रवाद'एक पठनीय और बहसतलब किताब है, जिसे बार बार पढ़ा जाना चाहिए और हिन्दी उर्दू के बहाने हिंदुस्तान के भाषाई मसले और उसके सामाजिक सांस्कृतिक प्रभावों पर विचार होना चाहिए. संपादक गिरिरा