कविता, कहानी, संवाद, गीत एवं नाटक की प्रस्तुति के साथ सम्पन्न हुआ लिटरेरिया 2022
० संवाददाता द्वारा ० कोलकाता - साहित्योत्सव लिटरेरिया 2022 के अंतिम दिन की शुरूआत चर्चित कथाकार किरण सिंह द्वारा अपनी कहानी ‘संझा' के पाठ द्वारा हुई। सत्र का संचालन स्मिता गोयल ने किया। इस दिन के संवाद सत्र का विषय था- ‘हाशिए पर खड़े लोग'। समाज के तमाम उपेक्षित वर्ग का मुख्य धारा द्वारा अवमानना और इस वर्ग का अपने अस्तित्व के लिए लागातार संघर्ष, लंबे समय से साहित्य का विषय रहा है। स्त्री विषयक चिंतक एव विचारक सुजाता विषय पर अपनी बात रखते हुए हाशिए के समाज की स्थिति का कारण इस समाज की विकल्पहीनता को बताती हैं। वे विभेदों के सम्मान पर जोर देती हैं । बजरंग बिहारी तिवारी ने कहा कि हिन्दी साहित्य की लम्बी परम्परा में आदिवासी सदैव उपस्थित रहा है लेकिन उनकी इंडिविजुअलटी को रेखांकित नहीं किया गया। दलित विमर्श में एक महत्पूर्ण नाम प्रज्ञा दया पवार ने कहा कि परम्परा की दूसरी खोज हाशिए पर खड़े लोगों द्वारा ही होती है। दलित समाज में वे महात्मा ज्योतिबा फुले व अम्बेडकर की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना नहीं भूलतीं । बनास जन के संपादक पल्लव लघु पत्रिका की भूमिका और उसकी वर्तमान स्थिति