दिल्ली मूल ग्रामीणों की 36 बिरादरी अपनी अनदेखी से लामबंद

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली -दिल्ली मूल ग्रामीण पंचायत (सर्वजातीय फेडरेशन) के अध्यक्ष पूर्व वाईस चांसलर प्रो राजबीर सोलंकी ने कहा कि दिल्ली के ग्रामीण मूल निवासियों के वजूद पर भारी राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संकट मंडरा रहा है। केशवपुरम स्थित दीन बंधू छोटू राम भवन में आयोजित एदिवसीय सर्वजातीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रो सोलंकी ने कहा कि शहरीकृत दिल्ली देहात और ग्रामीण दिल्ली देहात की सभी जातियों की प्रशासन और राजनेताओं द्वारा पिछले 70-75 वर्षों से घोर अनदेखी तथा उनकी खुली लूट हुई है । तमाम राजनैतिक दलों ने राजधानी के मूल गांव वासियों के सामाजिक व् सांस्कृतिक ताने बाने को ही ध्वस्त नहीं किया अपितु कृषि योग्य भूमि का अधिग्रहण कर किसानों और खेती से जुड़े कौशल निपुण वंचित जातियों का रोजगार छीनकर गांव कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक व्यवस्था को तबाह कर दिया है|
पंचायत के अध्यक्ष पूर्व वाईस चांसलर प्रो राजबीर सोलंकी ने मूल ग्राम वासियों की 36 बिरादरी की आजाद भारत में पहली बार ऐसी एकजुटता की सराहना की। गांव की सामाजिक-सांस्कृतिक एवं आर्थिक व्यवस्था सभी वर्ग मिलकर ही पुनः स्थापित कर सकते हैं |दिल्ली मूल ग्रामीण सर्वजातीय पंचायत द्वारा आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में 50 से अधिक गांवों की सभी जातियों (गुज्जर, जाट, हरिजन, जुलाहा, मणियार, ब्राह्मण, राजपूत, अहीर, झीमर, वंचित समाज, तैली, धोबी) ने सर्वसम्मति से गांव के मुद्दों पर एकजुट होने का आश्वासन दिया|सम्मेलन मुख्य रूप से सभी ग्रामीण जातियों के लूटते हुए साझा सामाजिक, सांस्कृतिक और रोजगार परक वजूद को बचाने की रणनीति पर परिचर्चा के लिए दिल्ली मूल ग्रामीण पंचायत ने किया था।
मूल ग्रामीण पंचायत के उपाध्यक्ष शिक्षा व  दयानन्द वत्स ने गांव में आधारभूत सुवधाओं की भारी कमी जैसे बदहाल सड़कें एवं पब्लिक ट्रांसपोर्ट के खस्ता हाल,लड़के लड़कियों के लिए खेल कूद के स्थान और पार्क की न केवल कमी अपितु टोटली नदारद है। एक ओर गांव को डंपिंग ग्राउंड (नरेला) E-Waste पार्क (होलम्बी) बनाया जा रहा है तो दुसरी तरफ यूरोप मॉडल पर शहरी सड़कों और बाजारों का सुंदरीकरण किया जा रहा है। दिल्ली मूल ग्रामीण पंचायत के महासचिव  पारस त्यागी (बुढ़ेला) ने पावर प्वाइंट प्रेज़ेंटेशन के माध्यम से दिल्ली के गांवों के विभीन्न पहलुओं के भयावह स्थिति और डीडीए की प्लानिंग के बेहद खराब मॉडल की खामियां दिखाई और कहा कि परिवर्तन अच्छाई के लिए अच्छा लगता है ;

 गांव की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक पहचान को दफ़नाने के लिए नहीं। 36 बिरादरी की साझी विरासत - गांव के तीज त्यौहार की जगह (होली, गांव का गेट, कुआँ पूजन, गांव के दादा खेड़ा भैया) विलुप्त सी हो गई है। मनोरंजन केंद्र, लाइब्रेरी, कला, भाषा की कोई बात नहीं करता। जयप्रकाश यादव जी ने गांव के पुराने रिकॉर्ड जो अरबी,पारसी और उर्दू भाषा में सैकड़ों वर्षों से धूल चाट रहे हैं उन्हें हिंदी में translate किये जाने की मांग उठाई।

सम्मेलन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया कि प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना दिल्ली के गांव में भी लागू की जाये जो कि पूरे देश में लागू है। भूमिहीनों की आवंटित भूमि का स्वामित्व उसी प्रकार से दिया जाये जैसे अनधिकृत गैरकानूनी कॉलोनी के लोगों को दिया गया है।  MPD 2041 और पहले के सभी Master Plan में उल्लेखित किसी भी गांव का आज तक विलेज डेवलपमेंट प्लान नहीं बना, विलेज डेवलपमेंट प्लान का मसौदा और उसको लागू करने की टाइम लाइन MPD - 2041 का हिस्सा हों।  प्रत्येक गांव की 36 बिरादरी के युवक युवतियों को काम धंधे और रहने की जगह सरकारी रेट पर गांव के मूल ग्रामीण सर्वजातीय EWS को प्राथमिकता के आधार पर दी जाये - जहाँ गांव, वही काम धंदे जहाँ झुग्गी वही मकान के तर्ज़ पर क्यों नहीं हो सकते EWS को।

 land pooling पहले अनधिकृत कालोनियों में लागू कि जाये जहाँ की सुविधाएं एवं जीवन पहले से ही कठिन है। कृषि भूमि की लैंड पूलिंग समय सीमा और किसी चार्ज रहित तथा आवश्यक नहीं होनी चाहिए।Green Belt Villages को कोई योजना क्यों नहीं दी जा रही है। 36 बिरादरी की दिल्ली मूलं ग्रामीण पंचायत की आज की सभा की अध्यक्षता वंचित बिरादरी से लिबासपुर गांव के मूल निवासी दिल्ली विश्वविधालय के प्रो हंसराज सुमन ने की। उन्होंने कहां की गहन चिंतन के बाद ही दिल्ली के ग्रामीण बुद्धिजीवों ने कोरोना काल में कई ऑनलाइन मीटिंग के बाद ही दिल्ली मूल ग्रामीण सर्वजातीय पंचायत का विज़न और रणनीति स्पस्ट हुई थी। अब 36 बिरादरी के लाखों मूल निवासी उसके सदस्य है। दिल्ली मूल ग्रामीण पंचायत द्वारा आयोजित 36 बिरादरी सम्मेलन में बडी संख्या में मूल ग्रामीण प्रतिनिधि शामिल हुए। 

मुख्य वक्ता अध्यक्ष डॉ. राजबीर सोलंकी, महासचिव पारस त्यागी , उपाध्यक्ष शिक्षाविद् दयानंद वत्स, कोषाध्यक्ष  जयप्रकाश यादव, समन्वयक और  सभा की अध्यक्षता कर रहे प्रो. हंसराज सुमन, डॉ. राम निवास सहरावत बवाना,  नरेश डबास सुलतानपुर डबास, नांगलोई जाट से डॉ. नरेश शौकीन, एडवोकेट मोनिका चौहान पीरागढी,  प्रदीप कादियान शाहबाद दौलतपुर,  सीताराम तंवर नारायणा गाँव, डॉ. अनिल कुमार कांगनहेडी,  राजेंद्र जंगाला,  डी.के निर्वाण, श्रीनिवास प्रधान, मास्टर  सतबीर सिंह खेडा कलां, सहित अन्य गणमान्य मूल ग्रामीणों ने अपने विचार प्रकट किए। सम्मेलन में अलीपुर, नांगलोई, नजफगढ़, महरोली ब्लॉक के गांवों से पधारे ग्रामवासियों ने शिरकत की। जिनमें पंचायत के उपाध्यक्ष दयाऩद वत्स,  अमरजीत, 

मुकेश सैनी बरवाला, अमित, आदित्य और दैविंद्र तंवर नारायणा गाँव, रामकुमार टोकस, गौरव टोकस मुनीरका से,  धीरज पवार,  आर.एस पवार शाहपुर जाट, डॉ.अमित सिंह खर्ब मूंढेला खुर्द, बापरोला से  जोगिंदर सोलंकी, अजय यादव, तिलंगपुर कोटला से  बिजेंदर कोटला, बक्करवाला से श्री कृष्ण, धीरपुर से शेरसिंह मलिक, भरथल, मुंडका, चंदनहौला, डॉ. रामबीर कैर, सुर्खपुर, चिराग दिल्ली, शाहपुर जाट, टीकरी कलां, होलंबी खुर्द, महिपालपुर, पल्ला, तिगिपुर से विवेक प्रताप, ताजपुर और अन्य गावों से उपस्थिति दर्ज की गयी।

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