मेहनत और ईमानदारी से लड्डू गोपाल भी प्रसन्न होते हैं
किसी गांव में मक्खन बेचने वाला एक व्यापारी मक्खन लाल रहता था वह स्वभाव से बहुत कंजूस था लेकिन जो भी काम करता था बड़ी मेहनत और ईमानदारी से करता था उसके मक्खन को लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे एक 1 दिन उसकी दुकान पर उसका जीजा और बहन आए वह सीधा वृंदावन से आए थे वह उसके लिए लड्डू गोपाल जी को लेकर आए थे वह कहते इस को घर लेकर जाना और इस की प्राण प्रतिष्ठा के साथ पूजा करना मक्खन लाल बहुत ही कंजूस प्रवृत्ति का था वह जो सोचता कि अगर यह घर लेकर जाऊंगा तो मेरी बीवी इस पर सिंगार और पूजा में खूब खर्च करेगी इसलिए वह कहता कि मैं इसको दुकान पर ही रखूंगा उसकी बहन कहती तू सुबह जब दुकान पर आया करेगा तो लड्डू गोपाल को दुकान से ही थोड़ा सा मक्खन निकाल कर भोग लगा दिया कर यह सुनकर मक्खन लाल थोड़ा सा हैरान हो गया कि अब इसके लिए भी मुझे मक्खन निकालना पड़ेगा लेकिन फिर भी उसने अपनी बहन को हां कर दिया अगले दिन जब वह दुकान पर आया तो उसको याद था कि मक्खन का भोग लगाना है लेकिन वह कहता कि कोई बात नहीं अभी कल ही तो इसको लाए हैं मैं अभी दो दिन बाद लगाऊंगा वह कहता गोपाला अभी तो तू खा कर आया होगा मैं दो दिन बाद तुझ