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राजू सिंह "माही" एक साथ पांच फिल्मो में आएंगें नज़र

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भोजपुरी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में नए ट्रेंड को स्‍थापित करने के मकसद से इंडस्‍ट्री में आये निर्माता सुनील जागेटिया एक बार फिर सभी को हैरान करने वाले हैं, वे एक साथ पांच – पांच फिल्‍मों की शूटिंग करने वाले हैं। सुनील जागेटिया व अभिनेता राजू सिंह माही ने बताया कि ये पांचों फिल्‍में अगले साल 2020 में फरवरी से शुरू होगी, जिसमें कई नए कलाकारों को मौका मिल सकता है। इन पांचों फिल्‍मों का निर्माण सारा फिल्म्स एंड एंटरटेमेंट हाउस के बैनर तले किया जायेगा। शूटिंग राजस्‍थान में होगी। सुनील जागेटिया के आगामी प्रोजेक्‍ट से भोजपुरी फिल्‍म इंडस्‍ट्री को एक उम्‍मीद बंध गई है। हाल ही में निर्माता सुनील जागेटिया ने तीन – तीन फिल्‍मों की शूटिंग पूरी की है, जिसमें गोरखपुर सांसद सह अभिनेता रवि किशन और राजू सिंह माही लीड रोल में नजर आ रहे हैं। ये तीन फिल्‍में थी ओम जय जगदीश, बड़े मिया – छोटे मिया और गुमराह। जिसमें "गुमराह" कंप्लीट है और दो फिल्मों "बड़े मिया छोटे मिया " व "ओम जय जगदीश" का सेकेंड सदुल 16 दिसम्बर से राजस्थान की वादियों में स्टार्ट होगा। सुनील जागेटिया देश के प्रधानमंत

CCTV Camera से महिलाओं की सुरक्षा में इज़ाफ़ा होगा CM Kejriwal

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ब्रह्मा बाबा ने आजीवन तराशने का काम किया President Kovind

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दिल्ली हाट "आदि महोत्सव" में 20 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड बिक्री

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इस 15 दिनों के आदि महोत्सव की विषय वस्तु थी : जनजाति संस्कृति, शिल्प, कुजिन और वाणिज्य की आत्मा का उत्सव। इस उत्सव में 240 स्टालों के माध्यम से जनजातीय हस्तशिल्प, कला, चित्रकारी, कपड़े, आभूषण इत्यादि की प्रदर्शनी-सह-बिक्री दिखाई गई।  नई दिल्ली के दिल्ली हाट में आयोजित राष्ट्रीय आदि महोत्सव ने रिकॉर्ड उपस्थिति और बिक्री दर्ज की है। इस महोत्सव को शानदार सफलता मिली 500 से अधिक जनजातीय कारीगरों ने 20 करोड़ रुपये का कारोबार किया। 500 से अधिक जनजातीय कलाकारों ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।  जनजातीय कारीगरों ने दिल्ली हाट में हस्तशिल्प और हथकरघा की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित की। इनमें हाथ से बुना हुआ कपास, ऊन और रेशम के कपड़े, वुडक्राफ्ट, मेटल क्राफ्ट, टेराकोटा, बीड-वर्क, मसल्स और अन्य वस्तुएं शामिल थीं। उन्होंने सम्मोहक जनजातीय चित्रों को भी प्रदर्शित किया। सरकार उत्पाद रेंज और डिजाइनों के विस्तार के लिए प्रतिष्ठित डिजाइन संगठनों के जनजातीय कारीगरों और मुख्यधारा के डिजाइनरों के बीच संवाद को बढ़ावा देना चाहती है। इन दोनों के बीच तालमेल टॉप-एंड वैश्विक बा

8वें राष्ट्रीय फोटोग्राफी पुरस्कारों के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित

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नयी दिल्ली - राष्ट्रीय फोटोग्राफी पुरस्कार को तीन श्रेणियों - लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, व्यावसायिक फ़ोटोग्राफ़रों के लिए पुरस्कार और अमेचर फ़ोटोग्राफ़रों- में पुरस्कृत किया जाता है। लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिए रु. 3,00,000/- का नकद पुरस्कार दिया जाता है। व्यावसायिक फ़ोटोग्राफ़रों के लिए इस वर्ष की थीम 'जीवन और जल' है। व्यावसायिक श्रेणी के तहत पुरस्कार 1,00,000 / - रुपये के नकद पुरस्कार के साथ एक 'वर्ष का व्यावसायिक फोटोग्राफर' पुरस्कार और 50,000 / - रु. प्रत्येक के नकद पुरस्कार के साथ पांच विशेष उल्लेख पुरस्कार हैं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत फोटो प्रभाग, प्रेस सूचना ब्यूरो ने 8वें राष्ट्रीय फोटोग्राफी पुरस्कारों के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित की हैं। प्रभाग हर साल फोटोग्राफी के माध्यम से कला, संस्कृति, विकास, विरासत, इतिहास, जीवन, लोक, समाज और परंपरा जैसे देश के विभिन्न पहलुओं को बढ़ावा देने के लिए और पेशेवर और अमेचर फोटोग्राफरों को प्रोत्साहित करने के लिए ये पुरस्कार प्रदान करता है। अमेचर फ़ोटोग्राफ़रों के लिए इस वर्ष की थीम 'भारत की सांस्कृतिक विरासत'

Delhi Nizamuddin area Sundar Nursery

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उत्तराखंड प्राप्ति के बाद विकास की गति बढ़ी है

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विजय सिंह बिष्ट   प्रादेशिक उत्तराखंड की विभिन्न संगठनों और संस्थाओं का निर्माण तो हुआ है किंतु घर गांव से हमारा ध्यान हटता ही जा रहा है। उत्तराखंड सरकार से आग्रह के साथ आशा करते हैं कि पलायन की रोकथाम के लिए उद्योगों का श्रृजन करने की कृपा करें, जिससे बर्तमान युवा शक्ति को रोका जा सके। शिक्षा स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान दे जिसके फलस्वरूप पलायन रुकेगा।  उत्तराखंड   बनने से पूर्व हम उतर प्रदेश के निवासी थे। उनके शासन काल में व्यवस्थाएं हमारे उत्तराखंड निवासियों को कई बातों में  नहीं सुहाती थी। वित्तीय हो या विकास की गति धीमी थी। कई मार्गो का निर्माण जनता ने स्वयं किया,चौदकोट जन शक्ति मार्ग, रामनगर बैजरों मार्ग जनता की भागीदारी से निर्मित हुए, ऐसे ही कितने मोटर और पैदल मार्गो का निर्माण विना किसी वित्तीय व्यवस्था के किये गये। शिक्षा के क्षेत्र में जनता के द्वारा विद्यालय खोले गए। जिनकी अस्थाई मान्यता के लिए भी लखनऊ और इलाहाबाद के चक्कर कटने पड़ते थे। विद्यालय प्रवंध समिति को जनता की शरण में जाकर चंदा मांगना पड़ता था। हमें याद है श्रमदान से भवन बनाये गये, हमारे इण्टर कॉलेज में