कोरोना का वायरस रूप हुआ विकराल
सुषमा भंडारी बीमारी घर द्वार में कहीं फैल न जाय। कोरोना के वायरस तुझ से सब घबराय।। कोरोना का वायरस रूप हुआ विकराल। छूने से यह फैलता बनकर आता काल।। खाँसी छींक जुकाम अब धर कोरोना नाम। हूं भयंकर वायरस घर - घर दे पैगाम। । श्वसन तंत्र को फेल कर मृत्यु लाता पास। विचलित मानव सभ्यता गुम सारा उल्लास।। घबराया संसार है कोरोना है काल। फैला पूरे विश्व में कैसा ये जंजाल। ठप्प हो गये काम सब स्कूल कॉलेज बंद। औंधे मुंह शेयर गिरे अर्थव्यवस्था मंद। । साबुन पानी है दवा और न कुछ ईलाज । सेनेटाजर में छिपा अब जीवन का राज।।