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पुराने जमाने में 20का अंक अशुभ माना जाता था

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विजय सिंह बिष्ट वर्ष 2020ई0 प्रारम्भ जिस प्रकार हुआ वह बहुत ही दुखद रूप लेकर आया है। एक ऐसा रोग जो अज्ञांत रूप में विश्वभर में महामारी लेकर आया। इस आक्रांता ने जहां मृत्यु का तांडव मचाया वहां इस रोग की रोकथाम में वैज्ञानिकों, चिकित्सकों ,बैद्यों, और ओझाओं को भी हरा दिया। यहां तक इनको काल के गाल में पहुंचा दिया। पुराने जमाने में 20का अंक अशुभ माना जाता था।बीस ,बिस्सी विष के रूप में देखे जाते थे।चार सौ बीस ऐसे लोगों को संज्ञा दी जाती थी जो गलत से गलत काम किया करते थे। इनसे बचने की सलाह दी जाती रही है। संविधान की यह धारा बहुत खराब मानी जाती है। लाभ और हानि में हानिकारक किसी भी क्रय विक्रय में बीस बर्जित माना जाता था। इक्कीस लो या उन्नीस बीस का सौदा नहीं होता था। बीमार आदमी को इक्कीस दिन का उपवास दिया जाता था,जब पूछा जाता था जबाब न तो बीस का उन्नीस हुआ नहीं उन्नीस का बीस।अर्थात बीस का अंक घृणित समझा जाता था। भारतीय संस्कृति में ऐसा रचा-बसा है उसे डर कहो या मनोवैज्ञानिक प्रभाव।हमें याद है*1857ई0के भय से 1957ई0को दो भागों में बांटने की बात गांव में प्रचलित थी। आज बंगाल का चक्रवात  और जन हानि

किसानों की समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा

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नोएडा , प्रदेशव्यापी मुहीम के तहत भारतीय किसान यूनियन भानु के कार्यकर्ताओं ने किसानों की समस्याओं को लेकर गौतमबुद्ध नगर ज़िलाधिकारी कैम्प कार्यालय सेक्टर 27 नोएड़ा पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया। प्रशासन की तरफ़ से अपर ज़िलाधिकारी बलराम सिंह ने ज्ञापन लिया। राष्ट्रीय महासचिव बेगराज गुर्जर ने ज्ञापन में देश, उत्तर प्रदेश के किसानों की समस्याओं को उठाते हुए कहा कि गौतमबुद्ध नगर में प्राधिकरणों द्वारा किसानों की ज़मीनें अधिग्रहण हो जाने के कारण किसान व मज़दूर बेरोज़गार हो गए। जिससे गुजर बसर करने के लिए इन्होंने अपने घरों व दुकानों को किराए पर दिया हुआ है। कोविड 19 की महामारी के चलते लोकडाउन से किराएदार  बेरोज़गार होने से ज़्यादातर अपने घर  चले गए व जो मकानों में रह रहे हैं उनका किराया माफ़ करना पड़ा।  इस कारण अब मकान मालिक ही भूखे मरने के कगार पर पहुँच गए हैं और अब बिजली का बिल व बच्चों के स्कूलों की फ़ीस भी देने में असमर्थ हैं। इसलिए चार महीने के ( मार्च,अप्रेल,मई व जून )बिजली के बिल व बच्चों के स्कूलों की फ़ीस माफ़ की जाये । गन्ना किसानों का मिलों पर बक

उत्तराखंड राष्ट्रीय राजमार्ग बुबाखाल से बैजरौ तक 123 करोड़ र0 की स्वीकृति

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देहरादून - मुख्यमंत्री उत्तराखंड द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग की घोषणा के साथ 123 करोड़ की स्वीकृति जनमानस के लिए अति प्रसन्नता की बात है। इसके लिए समस्त क्षेत्र की जनता आपका हृदय से आभार और अभिनंदन करती है। काफी लंम्बे समय से इस मार्ग के चौड़ीकरण, डामरीकरण और स्कवर की मांग होती रही है। उत्तराखंड वासियों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सड़क दुर्गम पहाड़ी भाग से गुजरने संकरा मार्ग होने के कारण यातायात में अवरुद्धता और दुर्घटनाओं की आशंकाओं से भरा रहता था। स्थानीय लोगों ने कहा कि इस घोषणा के बाद चौड़ीकरण डामरीकरण होने से जनता को जहां सुविधा मिलेगी,समय की बचत और यातायात सरल और सुगम भी हो जाएगा। आशा है क्षेत्र की जनता इस निर्माण में सहयोग करते हुए पारदर्शिता का भी ध्यान रखेंगे। ऐसे मौके कभी कभी ही मिलते हैं।       

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भारत में व्यापारिक वृद्धि के लिए नए संगठनात्मक ढांचे की घोषणा की

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नयी दिल्ली - 1 अप्रैल, 2020 को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक के समामेलन के बाद यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया का दायरा बढ़कर 9500+ शाखाओं और 13,500+ एटीएम के अखिल-भारतीय नेटवर्क तक हो गया है। समामेलन के बाद यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया अब भारत का पांचवां सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक और चौथा सबसे बड़ा बैंकिंग नेटवर्क बन गया है, जिसकी देश के हर राज्य में कम से कम एक शाखा है। इस सफल समामेलन की पृष्ठभूमि में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने अपने नए, संयुक्त संगठनात्मक ढांचे की घोषणा की है जिसमें 18 क्षेत्रीय कार्यालय और 125 क्षेत्रीय कार्यालय शामिल रहेंगे। सभी भौगोलिक क्षेत्रों में अपनी पैठ बढ़ाने की रणनीतिक दृष्टि से 4 नए आंचलिक कार्यालय चंडीगढ़, जयपुर, मैंगलोर और विशाखापत्तनम में स्थापित किए गए हैं। दक्षिण भारत में दो नए जोनल कार्यालय खोलने से बैंक इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपनी उच्च बाजार हिस्सेदारी को मजबूत कर सकेंगे। इसके अलावा, शिमला, अमृतसर, बरेली, मऊ, आदि जगहों पर 32 नए क्षेत्रीय कार्यालय खोले जा रहे हैं। मजबूत अखिल भारतीय उपस्थिति के साथ, बैंक के क्षेत्रीय और आंचलिक क

नेक्स्ट लर्निंग प्लेटफार्म ऑफलाइन से ऑनलाइन लर्निंग शिफ्ट को बना रहा है आसान

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नयी दिल्ली : महामारी के कारण स्कूलों के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण हो गया है। बार-बार हो रहे बदलावों और अनिश्चित काल के लिए लॉकडाउन के बीच स्कूलों के लिए अपने टीचिंग-लर्निंग अप्रौच और शिक्षाशास्त्र की कल्पना नए सिरे से करने और फिर से मजबूत करना जरूरी हो गया है। इस स्थिति को देखते हुए के-12 शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी नेक्स्ट एजुकेशन इंडिया प्रा.लि. स्कूलों को अपने 'नेक्स्ट लर्निंग प्लेटफॉर्म' के माध्यम से अपने टीचिंग-लर्निंग अप्रौच को नए सिरे से परिभाषित करने में सक्षम बना रहा है। यह एक इंटिग्रेटेड प्लेटफार्म है जो बिना किसी बाधा के रिमोट लर्निंग, एकेडेमिक और एडमिनिस्ट्रेटिव कार्यों को सुविधाजनक बनाता है। भारत भर में 2000 से ज्यादा स्कूलों ने शैक्षणिक और प्रशासनिक संचालन की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए यह सॉल्युशन अपनाया है। हाल ही में लॉकडाउन के मद्देनजर नेक्स्ट एजुकेशन ने नेक्स्ट लर्निंग प्लेटफॉर्म में एक लाइव लेक्चर फीचर भी जोड़ा है। इससे यह स्कूलों में ऑनलाइन जाने के लिए वन-स्टॉप सॉल्युशन है। अपने व्यापक ऑफरिंग के माध्यम से स्कूल अपने शिक्षण को ऑफ़लाइन से ऑनलाइन शिक्षण प्रणाली

मसाई स्कूल ने शुरू किया भारत का पहला एंड्राइड डेवलपर बूटकैंप

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नयी दिल्ली : भारत के पहले मिलिट्री स्टाइल कोडिंग स्कूल मसाई स्कूल ने भारत के पहले एंड्राइड डेवलपर बूटकैंप की शुरूआत किये जाने की घोषणा की। एंड्राइड डेवलपमेंट में करियर बनाने के लिए इच्छुकों को शुरूआती बढ़त देना इस छह महीनों के प्रोग्राम का प्राथमिक उद्देश्य है। सभी शैक्षणिक पृष्ठभूमि के आवेदकों के लिए यह प्रोग्राम खुला है, और इसके लिए तकनीक पर आधारित शिक्षा या काम के अनुभव की कोई शर्त नहीं है। सिलेक्शन राउंड के बाद इस इन्कम शेयरिंग एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करके छात्र इस प्रोग्राम के लिए नामांकन कर सकते हैं।  इन्कम शेयरिंग एग्रीमेंट छात्रों को नौकरी मिलने के बाद प्रोग्राम फी का भुगतान करने की अनुमति देता है। 6 महीने के एंड्रॉइड डेवलपर प्रोग्राम की रचना करते हुए कौशल विकास पर ध्यान दिया गया है ताकि छात्रों को एंड्राइड में अधिक गहरा ज्ञान प्राप्त करने के पहले कोडिंग और जावा के मुलभुत ज्ञान को मजबूत करने में मदद मिलेगी।  इस प्रोग्राम में सभी क्लासेस को लाइव सेशंस के रूप में चलाया जाएगा जिसमें छात्रों में समस्या निवारण तकनीक के विकास के लिए वास्तविक असाइनमेंट्स भी दिए जाएंगे।  इसमें 1000 से घ

लोगों में उम्मीद और सकारात्मकता बढाने के उद्देश्य से धार्मिक नेताओं ने किया गठजोड़

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लखनऊ - कोविड 19 जैसी महामारी के समय में मानसिक स्वास्थ्य, भय, फेक न्यूज़ के प्रसार आदि जैसी समस्याओं से निपटने हेतु उत्तर प्रदेश में एक अनूठा प्रयोग करते हुए अंतर्धार्मिक नेताओं की एक टोली इन्टरनेट पर धूम मचा रही है.  हिन्दू, मुस्लिम, सिख और इसाई समाजों से एक एक धार्मिक नेतागण ने मिलकर इन्टरनेट और सामुदायिक रेडिओ को एक नए सामुदायिक इबादतगाह में तब्दील कर दिया है, जहां अब तक जरुरी संदेशों के साथ जारी किये गए इन चार धार्मिक नेताओं के कुल 20 विडियो ने पिछले 5 हफ़्तों में कूल दस मिलियन से अधिक लोगों को आकर्षित किया है. अंतर्धार्मिक नेताओं को एक मंच पर लाकर आम लोगों के समस्याओं का हल खोजने, मानसिक स्वास्थ्य जैसी परेशानियों से लड़ पाने के लिए जरुरी नैतिक साहस देने आदि के लिए इस अभियान का संयोजन 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान के साथ क्लाइमेट एजेंडा ने किया है. अभियान के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए आयोजक क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने बताया “कोविड 19 और लॉक डाउन से उपजी समस्याओं के निस्तारण हेतु समाज के साथ यह पहलकदमी अनिवार्य महसूस हुई, क्योंकि जहां एक ओर सोशल डिस्टेन्सिंग इस महा