जुर्म साबित हुए बिना जुर्माना लेना कहां का कानून
लखनऊ . रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब को रिकवरी नोटिस भेजे जाने को मंच ने बदले की कार्रवाई करार दिया. दिल्ली के बाद यूपी पुलिस द्वारा सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों और स्क्रोल की पत्रकार सुप्रिया शर्मा पर मुकदमा सरकार की दमनकारी नीति है जिसका मंच पुरजोर विरोध करता है. मंच ने सीएए विरोधी आंदोलन दिसंम्बर 2019 पर आई चार्जशीट को निर्धारित प्रक्रिया अपनाए बिना लाने पर सवाल उठाया. रासुका, गैंगेस्टर जैसी कार्रवाइयों के जरिए इंसाफ पसंद आवाजों को दबाने की कोशिश हो रही है. वहीं इस मामले में जब चार्जशीट पुलिस ने न्यायालय में दाखिल कर दिया है तो बिना न्यायालय की अनुमति के कैसे वह कार्रवाई कर रही है. रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब को ऐसे समय में रिकवरी नोटिस भेजा गया जब इससे सम्बंधित मुकदमा हाईकोर्ट में लंबित है. जिसमें मुहम्मद शुऐब ने रिकवरी आदेश निरस्त करने की मांग की है. पुलिस सरकारी संम्पत्ति के नुकसान का जो आरोप मुहम्मद शुऐब और एसआर दारापुरी पर लगा रही है वो बेबुनियाद है क्योंकि दोनों को पुलिस ने नजरबंद कर रखा था. इस मामले में 17