क्यों जी कहां हो क्या हो रहा है कहने वाले चितरंजन जी नहीं रहे
महाश्वेता देवी के शब्दों में आंदोलन यानी चितरंजन सिंह आपातकाल की बरसी पर हम सबको छोड़कर चले गए. मानवाधिकार-लोकतांत्रिक अधिकार आंदोलन से जुड़े तो यूपी के किसी जिले में शुरुआती दौर में किसी प्रशासनिक या पत्रकारिता से जुड़े शख्श से मनवाधिकारों की बात आते ही चितरंजन सिंह का नाम आ जाता था. कंधे पर गमछा डाले हल्की सी मुस्कराहट लिए हुए चितरंजन जी का महीने-तीन महीनें में फोन आ ही जाता था. पिछली बार पिछले साल आया कि कहां हो भतीजे की शादी पटना में है आना है और कुछ बातें. बलवन्त भाई से बात हुई तो पटना के महेंद्र भाई के साथ गए. पर अफसोस कि उस दिन भी तबीयत ठीक न होने के चलते चितरंजन जी से मुलाकात न हो सकी.पिछले दिनों बलवन्त भाई ने उनकी तबीयत के बारे में बताया तो लक्ष्मण प्रसाद भाई से बात हुई तो वे चित्रकूट से आए तो उनके साथ बलिया आना हुआ. इमरान भाई और राम प्रकाश जी के साथ जब उनके गांव सुल्तानपुर गए तो घर पर खामोशी छाई हुई थी. मनियर से रामप्रकाश जी भी साथ हो गए जो चितरंजन सिंह के साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लेकर लम्बे समय तक साथ-साथ काम कर चुके हैं. उनके भाई मनोरंजन सिंह जी ने थोड़ी देर बाद बरामदे के