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स्वदेशी सोशल मीडिया नेटवर्क गोलबोल के पूरे हुए 10 लाख यूजर

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मुंबई : भारत के अग्रणी स्वदेशी सोशल मीडिया नेटवर्क गोलबोल के 10 लाख यूजर पूरे हो गए हैं। यह ब्रैंड की 7 महीने की यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। दिसंबर 2019 में शुरू हुए इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य लोगों को एक जैसी रुचि, आस्था और समानता वाले लोगों को वर्चुअल वर्ल्ड में भी प्रासंगिक और अर्थपूर्ण रिश्ते बनाने में मदद करना है। यह एक सुरक्षित जगह है, जहां लोग खुलकर अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। इसमें यूजर अपने अनुभव और विचार साझा कर सकते हैं और एक-दूसरे से बेहतर रिश्ते बना सकते हैं। हिंदी में उपलब्ध होने के साथ ही यह एप सोशल मीडिया और भारतीय यूजर के बीच के गैप को कम करने का कार्य करेगा, ताकि लोग आपस में जुड़ सकें। इस एप की गूगल प्ले स्टोर में 4.9 रेटिंग है और इसमें प्रत्येक दिन 50% यूजर एक्टिव होते हैं। इस उपलब्धि के बारे में बात करते हुए गोलबोल के सीईओ शानु विवेक ने कहा कि “ हमने देखा है कि बेहतरीन टेक्नोलॉजी होने के बावजूद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोगों को साथ लाने के उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इस बात ने हमें ऐसा प्लेटफॉर्म बनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसमें लोगों को अच्छे रिश्

तुलसी जयंती पर विशेष---समतामूलक समाज के पक्षधर--गोस्वामी तुलसीदास

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सुरेखा शर्मा लेखिका /समीक्षक एक तुलसी  आ चुका है एक तुलसी और आए एक पंछी गा चुका है एक पंछी और गाए। गोस्वामी तुलसीदास जी मानवीय चेतना के ऐसे प्रखर हस्ताक्षर थे जिनका सम्पूर्ण काव्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को समर्पित है ।सम्पूर्ण जगत को राममय करने वाले तुलसीदास ने राजापुर ग्राम में संवत् १५५४ की श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में बारह महीने गर्भ में रहने के पश्चात जन्म लिया था ।ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर पिता आत्माराम दूबे और माता हुलसी ने जन्म लेते ही   अशुभ मानकर इनका त्याग कर दिया था । कारण ,जन्म के समय से ही इनके मुख में 32 दांत और शरीर का आकार भी अन्य  बच्चों की अपेक्षा बहुत बड़ा था। चुनिया नाम की दासी ने इनका लालन-पालन किया ।किंवदन्ति यह भी है कि पैदा होते ही  रोने के स्थान पर इनके मुख से 'राम' शब्द निकला था  जिस कारण इनके गुरु  श्री नरहर्यानंद जी ने इनका नाम 'रामबोला ' रखा । बचपन से ही इनकी बुद्धि इतनी प्रखर थी कि ये एकबार जो सुन लेते  वही इन्हें कंठस्थ हो जाता ।गुरु नरहर्यानंद जी इन्हें अपने साथ अयोध्या ले गए ।वहीं पर इन्होंने वेद-वेदांगों

लफ़्जों के ज़ायके

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डॉ• मुक्ता 'लफ़्जों के भी ज़ायके होते हैं। परोसने से पहले चख लेना चाहिए।' गुलज़ार जी का यह कथन महात्मा बुद्ध के विचारों को पोषित करता है कि 'जिस व्यवहार को आप अपने लिए उचित नहीं मानते, वैसा व्यवहार दूसरों से भी कभी मत कीजिए' अर्थात् 'पहले तोलिए, फिर बोलिए' बहुत पुरानी कहावत है। बोलने से पहले सोचिए, क्योंकि शब्दों के घाव बाणों से अधिक घातक होते हैं; जो नासूर बन आजीवन रिसते रहते हैं। सो! शब्दों को परोसने से पहले चख लीजिए कि उनका स्वाद कैसा है? यदि आप उसे अपने लिए शुभ, मंगलकारी व स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानते हैं, तो उसका प्रयोग कीजिए, अन्यथा उसका प्रभाव प्रलयंकारी हो सकता है, जिसके विभिन्न उदाहरण आपके समक्ष हैं। 'अंधे की औलाद अंधी' था...महाभारत के युद्ध का मूल कारण...सो! आपके मुख से निकले कटु शब्द आपकी वर्षों की प्रगाढ़ मित्रता में सेंध लगा सकते हैं; भरे-पूरे परिवार की खुशियों को ख़ाक में मिला सकते हैं; आपको या प्रतिपक्ष को आजीवन अवसाद रूपी अंधकार में धकेल सकते हैं। इसलिए सदैव मधुर वाणी बोलिए और तभी बोलिए जब आप समझते हैं कि 'आपके शब्द मौन से बेहतर हैं।'

नाग पंचमी पर विशेष

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Exclusive Interview वरिष्ठ साहित्यकार संतोष श्रीवास्तव की जया केतकी के साथ बातचीत

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Bihar बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री प्रदान कीं

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रुड़की भारी बारिश से जन जीवन प्रभावित

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मेघ गर्जन और नर्तन कर रहे हैं गगन में

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कर्नल प्रवीण त्रिपाठी   मेघ गर्जन और नर्तन कर रहे हैं गगन में। डर रही है नार बैठी जो अकेली भवन में। कूकतीं पिक छिप कहीं दादुर अलापें स्वर नये। मग्न होकर नृत्य करते मोर मोहक चमन में।।1   दामिनी दम भर कड़कती दहल जाती है धरा। मेघ वर्षा संग लाते चैन पाती है धरा। ओढ़ धानी रंग चूनर प्रकृति अब इठला रही। धुल गया सारा प्रदूषण अब सुहाती है धरा।।2   नव नहाये दृश्य अनुपम चित्त को बहला रहे। पर्ण वृक्षों के चमकते हर हृदय को भा रहे। मेघ गरजें तो उपजते सुर कई नेपथ्य में। गीत पावस गर्जना सँग लोग मिलकर गा रहे।।3   मेघ दुंदुभि बज उठे जब क्षितिज रंग विशेष हो। प्रीति की सिहरन उठे तन मीत का संदेश हो। नाद कर घनघोर मेघ वितान आच्छादित करें। तप्त तनमन को जुड़ाने वारिवाह प्रवेश हो।।4   घन घनन घन घन घनन घन नाद मेघा कर रहे। तप्त आकुल प्रिय धरा के स्रोत जल के भर रहे। नव हरीतिम शुभ छटा प्रत्येक मन को मोहती। मृदु फुहारों से हृदय की पीर वारिद हर रहे।।5

नेक्सा 1.1 मिलियन ग्राहकों का बेजोड़ अनुभव और पसंद

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नयी दिल्ली : मारूति सुजुकी की ओर से गेमचेंजर प्रीमियम रीटेल नेटवर्क, नेक्सा 1.1 मिलियन ग्राहकों का बेजोड़ अनुभव प्रदान कर अपने 5 सालों की सफल यात्रा का जश्न मना रही है। ग्राहकों को कार खरीदने का विश्वस्तरीय अनुभव प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई नेक्सा बेजोड़ आतिथ्य, आधुनिक टेक्नोलॉजी एवं विश्वस्तरीय जीवनशैली का शानदार अनुभव प्रदान करती है। 200 से अधिक शहरों में 370 से अधिक शोरूमों के साथ, नेक्सा वॉल्युम की दृष्टि से तीसरा सबसे बड़ा रीटेल ऑटोमोबाइल ब्राण्ड है। नेक्सा अपने दृष्टिकोण ‘creating the new to inspire the next’  पर खरी उतर रही है और ‘नेक्सा की दुनिया में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति को प्रीमियम अनुभव’ प्रदान कर रही है। इस अवसर पर शशांक श्रीवास्तव, एक्ज़क्टिव डायरेक्टर, मार्केटिंग एण्ड सेल्स, मारूति सुजुकी इण्डिया लिमिटेड ने कहा, ‘‘नेक्सा एक ऐसी पहल है कि भारत में किसी ऑटोमोबाइल कंपनी के द्वारा ग्राहकों के अनुभव को कार खरीदने के दायरे से कहीं बाहर ले जाती है और अपने ग्राहकों को रीटेल का नया अनुभव प्रदान करती है। इन 5 सालों में नेक्सा, अपने विविध प्रोडक्ट्स की व्यापक रेंज, बेहतरीन ब्

क्विक हील ने भारत में कंज्यूमर सिक्योरिटी को नई परिभाषा दी

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घर से काम करना अब नया नियम बन चुका है, ऐसे में वाई-फाई राउटर सबसे महत्वपूर्ण डिवाइस बन गया है क्योंकि यह लैपटॉप / डेस्कटॉप, मोबाइल डिवाइस, स्मार्ट टीवी और इसी तरह के सभी डिवाइस को कनेक्टिविटी देता है। यदि थ्रेट एक्टर्स इस नेटवर्क तक पहुंच प्राप्त करते हैं, तो उनके लिए सभी कनेक्टेड डिवाइस पर कंट्रोल पाना आसान हो जाता है। इसी क्षेत्र में क्विक हील का एडवांस वाई-फाई स्कैनर, नया बिल्ट-इन फीचर कारगर साबित होता है। यह सॉल्युशन लगातार वाई-फाई नेटवर्क को स्कैन करता है,डिवाइस की मैपिंग करता है और नेटवर्क में संभावित सुरक्षा खामियों की पहचान करता है। यह यूजर को विस्तृत समस्याएं ठीक करने और घरेलू नेटवर्क की फुल सिक्योरिटी सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत जानकारी देता है। नयी दिल्ली : कंज्यूमर्स, बिजनेस और सरकार के लिए साइबर सिक्योरिटी और डेटा सिक्योरिटी सॉल्युशन उपलब्ध कराने वाली लीडिंग कंपनियों में से एक क्विक हील टेक्नोलॉजीज ने डिजिटल कंज्यूमर्स के लिए अपनी नेक्स्ट जनरेशन के साइबर सिक्योरिटी सॉल्युशन लॉन्च किए हैं। प्राइवेसी, प्रोटेक्शन और परफॉर्मंस को ध्यान में रखते हुए नए सूट को पर्सनल डेटा और

हर घर में जीती है एक परिणीता

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परिणीता सिन्हा                           जो नहीं मानती कोई सीमा रेखा ၊ वह बराबर बांटती है हर हिस्से को ၊         अंदर समेटे रहती है न जाने कितने झंझावात फिर भी नित्य मुस्कुराती है ၊ वो नित्य परिंदों को आसमान नापते देख। अपने अंदर के पंखों की फड़फड़ाहट महसूस करती है‌। पर कभी दूध उबल जाता है तो कभी दाल गल जाती है।  वह साफ करती है हर उबलन को၊ और गलेे हुए को सुधारती है। पुनः खाली पड़ा सिलेंडर उसे मुंह चिढ़ाता है।  बचे-गुँथे हुए आटे का ख्याल बरबस उसे रुला जाता है।  वह अपनी सारी गांठों को रोटी बनाकर बेल देती है। और उसमें डाल देती है देसी घी का सोंधापन।                                                                                                      ताकि बासीपन छिप सके၊ इसी तरह वो परोस देती है पूरें घर का भोजन। जो पूरे घर की भूख मिटा सके। पर इस क्षुधा-तृप्ति के प्रकर्म में न जाने उसके अंदर कितना कुछ बिखर जाता है। वह तीज त्योहारों पर खूब इठलाती है।  हर रस्मों रिवाजों में अपनी महत्ता जतलाती है।  सुंदर पकवान उसकी तरह बस परोसे जाते हैं। वह सजीव से निर्जीव में परिवर्तित होती जाती है। एक दिन एकब

सावन आया झूम के

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सुषमा भंडारी सावन आया झूम के कर लूं मैं श्रृंगार । चूड़ी कंगन झूम कर करते मुझसे प्यार।। टिप -टिप बारिश हो रही खूब पड़ें बौछार। सावन आया झूम के आजा मेरे प्यार।। मेघ गरज कर कह रहे पानी बेशुमार। कोयल कुहूक गा रही नाच रही बौछार।।  हरियल मनवा गा रहा सावन आया झूम।  पात पात झुक कर कहे  चल धरती को चूम।। बागो में झूले पड़े  तन में उठें हिलोर। घिर- घिर कर कहती घटा आओ मचायें शोर।। सखियाँ कजरी गा रही तन भीगे, मन गाय। आया सावन झूम के  कली -कली मुस्काय।। तीज उत्सव ही उत्सव जहाँ  ऐसा मेरा देश तीज महोत्सव भी मने घटा खोलती केश।। सावन मास की तृतीया शुक्ल पक्ष का वक्त खुशियों भरा त्यौहार है कृषक हुए सशक्त।। अनुपम छटा बिखेर कर धानी चुनरी ओढ हाट बाजार सजने लगे इक दूजे की होड़ ।। घेवर और पकवान सब बाँटें सब उपहार मायके में मनायेंगी ब्याहता ये त्यौहार।। सखियों के संग झूल पर  ऊँची पींग चढाएं  सखियाँ मीलजुल बाग में  हँस हँस कजरी गाएँ ।। सावन व्रत गौराँ करे माँगे शिव का साथ अद्भुत भोला है बहुत डमरू रखता हाथ।।। गुंजिया,घेवर, फैनियां घर- घर बांटी जाय सिंधारे की कौथली आय बहन मुस्काय।। साज और श्रिंगार से  खूब सजें महिल

कोरोना के बाद कैसा होगा सौंदर्य कारोबार :शहनाज़ हुसैन

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शहनाज़ हुसैन सलून्स और सौंदर्य में देश के एक करोड़ लोग शामिल हैं जिनमें से दो तिहाई सिर्फ महिलाएं हैं। इनके रोजगार और कामधंधे अब तक ख़तरे में पड़े थे। सलून्स को फिर से खोलने से जुड़े आग्रह को लेक र सौंदर्य बाजार के कारोबारी गृह मंत्रालय से मिल भी चुके हैं। सलून्स इंटरनेशनल के अनुसार, “हालांकि आनलाइन कारोबार में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। हाइ एंड स्किन और हेयर केअर प्रॉडक्टस, परफ्यूम्स, कलर कॉस्मेटिक्स कोविड-19 के बावजूद भी बढ़ रहे हैं।” हालांकि दुनिया भर के ब्यूटी ब्रैंडस ने भविष्य में ज़्यादा इस्तेमाल होने वाले प्रॉडक्टस की मांग को भांपते हुए हैंड सेनेटाइजर्स, हैंड वाश और इससे जुड़े प्रॉडक्टस भी बनाने शुरू कर दिए। जैसे कि हमने भी हैंड सेनेटाइजर्स व हैंड वाश से लेकर हैंड क्रीम, गैजेटस स्प्रे, सरफेस स्प्रे, फ्लोर और टॉयलेट क्लींजर्स जैसे कीटाणुनाशक हर्बल प्रॉडक्टस की पूरी रेंज बाजार में उतार दी। ग्राहक को भी बाजार में नामी आर्गेनिक और अच्छे प्रॉडक्टस का इंतजार था। कोरोना महामारी से पहले सौंदर्य का बाजार ख़ासा फल-फूल रहा था। पिछले दो दशकों से ब्यूटी प्रसाधनों से जुड़ा व्यवसाय न सिर्फ बढ़ता दिखाई