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पर्पल की 4 अगस्त को भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन ब्यूटी सेल

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पर्पल की 4 अगस्त को भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन ब्यूटी सेल के लॉन्च की तैयारी। Purplle.com पर 4 अगस्त से 8 अगस्त तक I ♥ Beauty (आई लव ब्यूटी) सेल फेस्टिवल की योजना बनाई। इस सेल फेस्टिवल के दौरान पर्पल के सभी सेलर्स अपने उत्पादों पर 3 गुना से ज्यादा की छूट देंगे। स्किन-केयर, हेयर-केयर तथा मेकअप कैटेगरी में 500 देशी एवं विदेशी ब्रांडों के 15,000 से ज्यादा ब्यूटी प्रोडक्ट्स बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। अलग-अलग ब्रांडों पर 1 खरीदें और 1 मुफ्त पाएँ, 2 खरीदें और 2 मुफ्त पाएँ, 3 खरीदें और 3 मुफ्त पाएँ जैसे शानदार ऑफ़र के अलावा हर ब्रांड के आर्डर पर मुफ्त उपहार पाने का मौका। पर्पल ने सामानों को सही समय पर ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए एक्सप्रेसबीज़, ब्लू डार्ट, डेल्हीवेरी, ई-कॉम एक्सप्रेस, शैडोफैक्स और कनेक्ट इंडिया के साथ गठबंधन किया है। इस बार त्योहार के दौरान पर्पल ने कारोबार की मात्रा में छह गुना वृद्धि का लक्ष्य रखा है नयी दिल्ली : भारत में ब्यूटी प्रोडक्ट्स के सबसे बड़े मार्केटप्लेस, पर्पल ने 4 अगस्त से 8 अगस्त, 2020 के दौरान भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन ब्यूटी सेल के लॉन्च की तैयारी की है। पांच दि

क्वेस्चन बैंक सीरीज़ 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए व्यापक,वन-स्टॉप समाधान उपलब्ध कराएगी

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नई दिल्ली : सुनील अग्रवाल, हैड-प्रोडक्ट (टेस्ट प्रिपरेशन एण्ड असेसमेन्ट) पियरसन इंडिया ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के बीच उत्पन्न हुई असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए कक्षा 9 से 12 के पाठ्यक्रम में 30 फीसदी कटौती की गई है। इस अनिश्चित स्थिति में, हमें छात्रों को ऐसे अतिरिक्त संसाधनों के साथ ज़रूरी सहयोग प्रदान करना चाहिए, जो उन्हें परीक्षा की तैयारी में मदद कर सकें। अध्यापन में 35 साल का अनुभव रखने वाले लेखकों द्वारा तैयार की गई यह अध्ययन सामग्री, अपनी तरह की अनूठी सीरीज़ है, जो छात्रों को सीबीएसई परीक्षा की तैयारी में मदद करेगी। पियरसन में हम हमेशा से छात्रों के लिए समय पर और उचित सामग्री लाने के लिए प्रयसरत रहे हैं और यह क्वेस्चन बैंक छात्रों की मौजूदा समस्याओं को हल करने में मदद करेगा।  परीक्षा की तैयारी को बेहतर और प्रभावी बनाने के लिए दुनिया की अग्रणी डिजिटल लर्निंग कंपनी पियरसन ने विज्ञान और गणित विषयों के लिए सीबीएसई 2021 क्वेस्चन बैंक सीरीज़ का अनावरण किया। हाल ही में सीबीएसई द्वारा पाठ्यक्रम में लाए गए बदलावों पर आधारित इस नई सीरीज़ में सभी अध्यायों के लिए व्यापक, व्यवस्थित रूप से

ज़ी5 क्लब : हर भारतीय को मिलेगा प्रीमियम कंटेंट का लाभ

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ज़ी5 क्लब ओटीटी टेलीविज़न मनोरंजन पैक में दर्शकों को उनके सबसे पसंदीदा शोज् टीवी पर दिखाए जाने से पहले देखने को मिलेंगे। साथ ही चुनिंदा ज़ी5 और एएलटी बालाजी शो, 1000 से ज्यादा जबरदस्त फ़िल्में, ज़ी जिंदगी शोज् और 90 से ज्यादा लाइव टीवी चॅनेल्स यह रंगबिरंगी मनोरंजन का ख़जाना भी इसमें है। ज़ी5 क्लब के सब्सक्राइबर्स को इस मनोरंजन के दौरान विज्ञापन की बाधाएं नहीं आएंगी और सभी डिवाइसेस पर उनका लाभ लिया जा सकता है। नयी दिल्ली : भारत का एंटरटेनमेंट सुपर-ऐप ज़ी5 ने "ज़ी5 क्लब" शुरू किए जाने की घोषणा की है, जिसमें एक साल के लिए सिर्फ 365 रुपयों में हर एक भारतीय को मनपसंद मनोरंजन का पूरा लाभ मिलेगा। अलग-अलग शैली, भाषाएं और कई प्रकार के डिवाइसेस पर मनोरंजन मिलें और हर एक भारतीय को उसे पाने की ख़ुशी मिले इस प्रतिबद्धता को निभाते हुए ज़ी5 ने यह कदम उठाया है। ज़ी5 इंडिया के सीनियर वाईस प्रेसिडेंट और हेड एसवीओडी श्री राहुल मरोली ने बताया, "हमारे ओटीटी प्लेटफार्म पर दर्शकों को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है और ज़ी5 क्लब की शुरूआत भी दर्शकों से मिली हुई प्रतिक्रियाओं के आधार पर ही की गयी है।  सभी भारत

भाषाएँ बचेंगी तो साहित्य और संस्कृति बचेगी'- सुधाकर पाठक

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हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं पर विशेष रुचि रखने वाले, भारतीय भाषाओं पर शोध करने वाले एवं भाषाओं पर कार्य करने वाले लेखकों एवं शोधार्थियों के लिए ‘भाषा-गत-अनागत’, ‘हिन्दी: विमर्श के विविध आयाम’ एवं ‘भारतीय भाषाएँ: चिंता से चिंतन तक’ नाम से अब तीन महत्त्वपूर्ण सन्दर्भ पुस्तकें उपलब्ध हैं। भारतीय भाषाओं पर केंद्रित इन तीन महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण, संवर्धन एवं प्रचार-प्रसार को समर्पित संस्था ‘हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी’ ने किया है। ‘भाषा-गत-अनागत’ पुस्तक 31 विद्वान लेखकों का भाषा पर केंद्रित साक्षात्कारों का संग्रह है। ‘हिन्दी: विमर्श के विविध आयाम’ पुस्तक हिन्दी भाषा पर केंद्रित लेखों का संग्रह है, तो वहीं ‘भारतीय भाषाएँ: चिंता से चिंतन तक’ पुस्तक भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित भारतीय भाषाओं, उपभाषाओं एवं बोलियों पर केंद्रित लेखों का संग्रह है। भाषा किसी भी संप्रभु राष्ट्र के चार प्रमुख आधारों में से एक गंभीर और महत्त्वपूर्ण विषय है। राष्ट्रीयता, स्वाभिमान, मौलिकता, राष्ट्रीय गौरव, एकता एवं अखंडता आदि जैसे विषयों की जड़ें भाषा स

सामाजिक न्याय की लड़ाई आर्थिक न्याय व राजनीतिक न्याय के साथ ही आगे बढ़ेगी

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लखनऊ - सामाजिक न्याय के समग्र एजेंडा पर बात करते हुए बहुजन बुद्धिजीवी डॉ विलक्षण रविदास ने कहा कि सामाजिक न्याय की लड़ाई आर्थिक न्याय व राजनीतिक न्याय के साथ ही आगे बढ़ेगी. शासन-सत्ता की संस्थाओं और तमाम क्षेत्रों में आबादी के अनुपात में भागीदारी के साथ ही संपत्ति व संसाधनों के आसमान वितरण व बढ़ती विषमता के खिलाफ न्यायपूर्ण हिस्सेदारी की लड़ाई भी लड़नी होगी. निजीकरण के रास्ते संपत्ति व संसाधनों को मुट्ठी भर लोगों के हवाले किया जा रहा है. बहुजनों की वंचना बढ़ती ही जा रही है. उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय की राजनीतिक पार्टियों का फेल्योर सामने है. इन पार्टियों ने सत्ता में रहते हुए सामाजिक न्याय के साथ न्याय नहीं किया है. हमें नये सिरे से बहुजनों को जगाने, संगठित करने और सड़कों पर संघर्ष को आगे बढ़ाना होगा. भागलपुर,लखनऊ. रिहाई मंच, सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार), बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच, बहुजन स्टूडेन्ट्स यूनियन, सामाजिक न्याय मंच(यूपी), अब-सब मोर्चा सहित कई संगठनों की ओर से शाहूजी महाराज की विरासत को बुलंद करने व सामाजिक न्याय को संपूर्णता में हासिल करने के लिए संघर्ष तेज करने का संकल

'बिन मुहब्बत जिस्म ये खंडहर पुराना हो गया मेरे दिल को मुस्कराए इक ज़माना हो गया

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नयी दिल्ली - प्रणेता साहित्य संस्थान,दिल्ली द्वारा आॅनलाइन काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन संस्थान के संस्थापक एवं महासचिव एस जी एस सिसोदिया ,अध्यक्षा सुषमा भण्डारी और उपाध्यक्षा शकुंतला मित्तल,सचिव भावना शुक्ल,कोषाध्यक्ष चंचल पाहुजा  के सक्रिय प्रयासों  से सफलता पूर्वक संपन्न हुई ,जिसमें विभिन्न राज्यों के 20 रचनाकारों ने अपनी अपनी रचनाओं से समां बांधा।   कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन वीणा अग्रवाल द्वारा माँ शारदे की वंदना के साथ हुआ । इस अवसर पर वीणा अग्रवाल ने मधुर स्वर में ' वरदायिनी वरदान दो,अंतःकरण में ज्ञान दो' की सुमधुर प्रस्तुति  से मंच को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। सरस्वती वंदना के पश्चात संस्थान के संस्थापक और महासचिव एस जी एस सिसोदिया ने अपने उद्बोधन में प्रणेता साहित्य संस्थान का संक्षिप्त परिचय देते हुए सभी उपस्थित साहित्यकारों को शुभकामनाएँ प्रेषित की। यह गोष्ठी  प्रतिष्ठित कवयित्री सरोज गुप्ता की अध्यक्षता में संपन्न  हुई। मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध प्रतिष्ठित कवि एवं गीतकार जगदीश मीणा ने अपनी गरिमामय  उपस्थिति से मंच को सुशोभित किया। विशिष्ट अतिथि के रूप

Bihar विधानसभा के चुनाव क्या समय पर हो पाएंगे

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प्रणेता द्वारा ऑनलाइन काव्य गोष्ठी

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भाजपा एक चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने में जुटी हुई है

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राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस' मनाने की नई परंपरा की शुरुआत...

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लख़नऊ - कोरोना महामारी के आपदा के दौर को भाजपा-आरएसएस आरक्षण पर भी चौतरफा हमले करने के अवसर के बतौर इस्तेमाल कर रही है.लगातार सुप्रीम कोर्ट से लेकर विभिन्न राज्यों की हाई कोर्ट आरक्षण के खिलाफ फैसला दे रही है,आरक्षण विरोधी टिपण्णियां कर रही है.इसी बीच ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर के लिए आय की गणना में बदलाव के जरिए ओबीसी आरक्षण को बेमतलब बना देने की साजिश की जा रही है.राष्ट्रीय स्तर पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिले में ओबीसी आरक्षण की लूट का सवाल भी उल्लेखनीय है.इस परिदृश्य में बिहार-यूपी के कई संगठन साझा पहल लेकर 26जुलाई को 'राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस' के रूप में मना रहे हैं. संगठनों का कहना है कि 2014 से ही सामाजिक न्याय पर हमलों और सामाजिक न्याय के मोर्चे पर हासिल उपलब्धिओं को खत्म करने की कोशिशों का नया दौर शुरु हुआ है. सामाजिक न्याय के लिए हमारे पूर्वजों ने अथक प्रयास, त्याग और बलिदानों से जो कुछ हमारे लिए हासिल किया था,वह छीना जा रहा है. इतिहास से प्रेरणा लेकर संघर्ष की विरासत को बुलंद करते हुए सामाजिक न्याय के मोर्चे पर हासिल उपलब्धियों को बचाने और सामाजिक न्याय का दायरा जी

समाज,संविधान,लोकतंत्र के विषयों को हटाने से ब्राह्मणवादी-मनुवादी विचारों को मिलेगा बढ़ावा 

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समाज,संविधान,लोकतंत्र के विषयों को हटाने से ब्राह्मणवादी-मनुवादी विचारों को मिलेगा बढ़ावा। इन विषयों को निकालने का मकसद छात्रों के बस्ते का बोझ कम करना नहीं बल्कि गैर बराबरी और जातीय एवं साम्प्रदायिक भेदभाव पर आधारित समाज और व्यवस्था के लिए मार्ग प्रशस्त कर तानाशाही की तरफ बढ़ने की दीर्घकालिक योजना का हिस्सा प्रतीत होता है। लखनऊ । छात्रों पर बस्ते का बोझ कम करने के नाम पर विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और नागरिक शास्त्र आदि विषयों से संक्रामक बीमारियों सम्बंधी जानकारी, राजनीति, मानवाधिकार, विश्व बंधुत्व और सामाजिक कुप्रथाओं पर आधारित कई महत्वपूर्ण अध्यायों को शिक्षा के पाठ्यक्रमों से निकालने के सरकार के फैसले को रिहाई मंच ने वैज्ञानिक चेतना से वंचित करने और आने वाली पीढ़ियों को अंधविश्वास की तरफ ढकेलने वाला कदम बताते हुए उनकी पुनर्बहाली की मांग की है। रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि चुनाव, लोकतंत्र, सत्ता का विकेंद्रीकरण, राजनीति में नागरिकों की सहभागिता जैसे अध्यायों के साथ नाज़ीवाद और हिटलरशाही के अध्याय का पाठ्यक्रम से बाहर किया जाना लोकतंत्र के लिए बेहतर संकेत नहीं है। एक तरफ जहां

वक़्फ़ बोर्ड प्रबंधन और सरकार की भूमिका पर वेबिनार

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नयी दिल्ली - औक़ाफ़ एजुकेशनल फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया (AEFI) आगामी 26 जुलाई को "वक़्फ़ बोर्ड के प्रबंधन और सरकार की भूमिका" के विषय पर एक ऑनलाइन वेबिनार करने जा रही है. जिसमें देश के प्रसिद्ध सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विशेष रूप से शकील सैयद, एजाज़ नकवी, इरशाद अहमद और फुज़ैल अयूबी इसमें भाग लेंगे। जामिया मिलिया इस्लामिया के विधि विभाग की प्रोफेसर कहकशां दानियाल साहिबा भी भाग लेंगी। सैयद ज़फर महमूद इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करंगे। इस कार्यक्रम का मक़सद है कि मुस्लिम समुदाय का वक़्फ़ सम्पत्तियों के प्रबंधन से राब्ता कराया जाए और सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी की तर्ज़ पर वक़्फ़ बोर्ड का प्रबंधन भी मुस्लिम समुदाय द्वारा किया जाये | संगोष्ठी का संचालन प्रसिद्ध वकील मुहम्मद तारिक़ फारूकी द्वारा किया जाएगा। फारूकी दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के क़ानूनी सलाहकार रहे हैं।  इसके साथ ही इस फॉउंडेशन के सचिव मुज़फ्फर अली, दिल्ली हाई कोर्ट एडवोकेट असलम अहमद के अलावा वरिष्ठ पत्रकार व वकील और कारवां फाउंडेशन के फाउंडर रईस अहमद भी शिरकत करेंगे। औक़ाफ़ एजुकेशनल फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया एक पंजीकृत शैक्षणिक संस्था है जो वक़्

द क्रिएटिव निर्वाणा द्वारा आर्ट के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने की पहल

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नयी दिल्ली - द क्रिएटिव निर्वाणा कला का उपयोग करके सामाजिक मुद्दों की सार्वजनिक चेतना बनाने का एक प्रयास है। हमारा उद्देश्य बड़े पैमाने पर युवाओं को सामाजिक और वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए रचनात्मक विचारों के साथ अंकुरित करना है। 10 मई 2020 को, हमने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में अपनी पहली अखिल भारतीय कला प्रतियोगिता “द महाARTमा @ 150” लॉन्च की। प्रतियोगिता का विषय 'रीसायकल फॉर द लाइफ साइकिल' था। प्रतियोगिता में बच्चों और 15-21 वर्ष की आयु के युवा वयस्कों को न केवल रचनात्मक कौशल का प्रदर्शन करने में मदद की, बल्कि सामाजिक जागरूकता पैदा करने में भी मदद की। इसने युवा दिमागों को इन विषयों पर सोचने, समझने के साथ ही उनकी कलात्मक्ता और रचनात्मकता को भी बढ़ावा दिया। हमें जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली और पूरे देश से 250 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुईं, जिनमें से हमारे सम्मानित ज्यूरी ने 20 सेमी-फाइनलिस्ट चुने। इन 20 सेमीफाइनलिस्टों को सार्वजनिक मतदान के लिए हमारे सामाजिक हैंडल्स पर प्रदर्षित गया था।कठोर चयन प्रक्रिया में कलाकृति, मूलविषय, प्रतिभागी का विश्वास, सार्वजनिक म