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Dwarka नसीरपुर मदीना मस्जिद में ईद की नमाज़ में आपसी सौहार्द और देश के लिए दुआ की
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Kejriwal Govt.राजनगर के उन्हीं घरों को "Contain" करे जिसमे कोरोना पेशेंट हों:पार्षद भूपेंद्र गुप्ता
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कोटद्वार में बादल फटने से तबाही Uttarakhand Heavy Rain
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Tiger Pakda लोगों ने तेंदुए को पिंजरे में किया कैद
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दुश्मनों की उड़ी नींद Rafale Fighter भारत पहुंचा IAF की ताक़त बढ़ी
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SDMC शिक्षा विभाग की अनोखी पहल घर घर जाकर दाखिला अभियान
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’हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी : भारतीय भाषाओं पर केंद्रित पुस्तकें प्रकाशित
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सोशल मीडिया का विस्तार और महिला लेखन/पत्रकारिता के समक्ष बढ़ती चुनौतियां
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मीनाक्षी माथुर जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना , सब्र,अटल इरादे और कलम में सच की धार रखना , सफलता मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें , बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना । लेखन और पत्रकारिता दोनों ही एक दूसरे के सहयोगी क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में महिलाओं के समक्ष आने वाली चुनोतियों पर प्रकाश डालने से पूर्व हम लेखन और पत्रकारिता पर संक्षिप्त नज़र डालेंगे। लेखन की गद्य और पद्य की अपनी अनेक विधाएं हैं जैसे कहानी , कविता , गीत , गीतिका , ग़ज़ल, उपन्यास , पटकथा , समीक्षा , समसामयिक व ऐतिहासिक लेख इत्यादि। इसी प्रकार आधुनिक पत्रकारिता के भी अनेक रूप हैं जैसे खोजी-पत्रकारिता , खेल-पत्रकारिता , बाल-पत्रकारिता , महिला-पत्रकारिता , आर्थिक , ग्रामीण पत्रकारिता आदि। अब हम बात करते हैं महिला लेखन व पत्रकारिता की। लेखन में प्राचीन काल से ही महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आईं हैं जैसे गार्गी , मैत्रयी , लोपामुद्रा , विद्योतमा , शतरूपा आदि अनेक नाम हैं इस वैदिक काल में समाज मातृसत्तात्मक था लेकिन धीरे धीरे सामाजिक व्यवस्था पितृसत्तात्मक होती गई और महिलाओं की दशा बिगड़ती गई इसीलिए सामाजि
शराब पीकर आने वाले पर हजार रुपए आर्थिक दंण्ड
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देहरादून - यह युवा शक्ति क्षेत्र में शराब उन्मूलन के लिए प्रयास रत होकर क्षेत्र का और नाम रोशन करेंगी। प्रस्ताव के आधार पर गांव में कोई शराब की बिक्री नहीं करेंगे। बाहर से शराब पीकर आने वाले पर हजार रुपए आर्थिक दंण्ड रखा गया है। राजेश रावत के संदेश को पढ़कर एक आलौकिक आनंद की अनुभूति हुई कि विकास क्षेत्र बीरोंखाल के अंतर्गत ग्रामसभा भाकंण्ड पट्टी साबली पत्रालय वेदीखाल के युवाओं जिसमें जसपाल सिंह नेगी , गांव की मातृशक्ति महिला मंगल दल, भूतपूर्व प्रधान एवं नव निर्वाचित प्रधान एवं समस्त ग्रामवासियों द्वारा शराब की बिक्री और निर्माण पर प्रतिबंध लगा कर एक अनूठा उदाहरण क्षेत्र में ही नहीं सम्पूर्ण उत्तराखंड के शराब निर्माताओं को दिया है। इस सराहनीय कार्य से कई घरों को बचाया है।जिसकी बाटजोहते हुए चार दशक से भी अधिक समय हो गया था। इस पुरानी बीमारी के अंत के लिए अभी क्षेत्र में जागरूकता और प्रचार प्रसार की आवश्यकता है। गांव की युवा शक्ति को यदि बेकारी बेरोजगारी और रोगग्रस्त होने से बचाना है तो इस शराबी नामक राक्षस से मुक्त करना होगा। यह युवा शक्ति क्षेत्र में शराब उन्मूलन के लिए प्रयास रत