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यूपीएसएसएफ लोकतांत्रिक आवाजों को कुचलने का औजार

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बिना किसी वारंट के यूपी एसएसएफ के पास किसी को भी गिरफ्तार करने या किसी की भी तलाशी लेने का अधिकार देने का मतलब ही होता है कि जनता के नागरिक अधिकारों में उसी अनुपात में कटौती करना। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी पुलिस बिना वारंट तलाशी और गिरफ्तारी जैसे गैर कानूनी गतिविधियां अंजाम देती रही है लखनऊ , रिहाई मंच ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विशेषाधिकार प्राप्त स्पेशल टास्क फोर्स के गठन को अलोकतांत्रिक कदम बताते हुए कहा कि इसे जिस प्रकार के अधिकार दिए गए हैं उससे जाहिर होता है कि इसका प्रयोग राजनीतिक विरोध को कुचलने पूंजीपतियों द्वारा जन साधारण के शोषण का कानूनी अधिकार देने जैसा है। मंच ने दिल्ली स्पेशल द्वारा संविधानवादी युवा नेता उमर खालिद को दिल्ली दंगों का मास्टर माइंड बताते हुए यूएपीए जैसे क्रूर कानून प्रावधान के तहत गिरफ्तारी की निंदा करते हुए तत्काल रिहाई की मांग की।  रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा इसका सबसे अधिक शिकार वैचारिक और राजनीतिक विरोधियों और वंचित समाज को बनाया जाता रहा है। यूपी एसएसएफ के गठन को उसे वैधानिक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है। यूपी एसएसएफ का इस्तेम

ई.वी. रामासामी पेरियार का जन्मदिन ब्राह्मणवाद-पूंजीवाद के गठजोड़ के जारी हमले के प्रतिरोध का दिन

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भागलपुर/लखनऊ . सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) और रिहाई मंच के बैनर तले बहुजन नायकों की विरासत और बहुजनों की सामाजिक-राजनीतिक दावेदारी को बुलंद करने के आह्वान के साथ 'हमारे नायक-हमारी विरासत, हमारा एजेंडा-हमारी दावेदारी' अभियान जारी है. रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव और सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के गौतम कुमार प्रीतम ने कहा है कि 17 सितंबर को बहुजन नायक ई.वी.रामासामी पेरियार का जन्मदिन है. वे वर्चस्व, अन्याय व शोषण के तमाम रूपों के खिलाफ थे. ब्राह्मणवादी वर्ण-जाति व्यवस्था, पितृसत्ता और पूंजी के शोषण से आजाद आधुनिक समाज व राष्ट्र के निर्माण के उनके क्रांतिकारी विचार और जुझारू संघर्ष की उनकी विरासत आज ब्राह्मणवाद व पूंजीवाद के गठजोड़ के तीखे हमले के दौर में बेहद जरूरी हो गये हैं. दोनों नेताओं ने बताया है कि पेरियार के संघर्ष के कारण ही 1951 में संविधान में पहले संशोधन के जरिए अनुच्छेद 15 में उपखंड (4) जोड़ा गया और देश के अन्य पिछड़े वर्ग के लिए सामाजिक न्याय का रास्ता खुला.  सवर्णों के शासन-सत्ता व अन्य क्षेत्रों में वर्चस्व की गारंटी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा चुका है और ए

" मंटो ज़िंदा है" के तेलुगु संस्करण का लोकार्पण

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नयी दिल्ली -हिन्दी के वरिष्ठ कवि, नाटककार एवं आलोचक डॉ.नरेन्द्र मोहन द्वारा लिखित मंटो की जीवनी 'मंटो जिन्दा है' तेलुगु में पहली बार 'Manto : Jeevita Charitra' नाम से प्रकाशक Chaaya Resources Centre, Hyderabad की ओर से अभी हाल ही में प्रकाशित हुई है। इसका  हिन्दी से तेलुगु में अनुवाद डॉ. टी.सी.वसंता ने किया है। इस अनूदित कृति का लोकार्पण कल शाम राजौरी गार्डन, नई दिल्ली में डॉ नरेन्द्र मोहन के निवास पर हिन्दी के सुपरिचित कथाकार,कवि एवं अनुवादक सुभाष नीरव के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर  युवा साहित्यकार सन्दीप तोमर की भी उपस्थिति रही। डॉ.नरेन्द्र मोहन और अनुवादिका वसंता को इस अनूठे कार्य के लिए साहित्य जगत की तरफ से दोनो साहित्यकारो ने बधाई प्रेषित की। मण्टो का अलग-अलग भाषाओं में अनुदित होना उन्हें कालजयी बनाता है। इस अवसर पर नरेन्द्र मोहन जी ने मण्टो के ऊपर विस्तृत बातचीत की। उल्लेखनीय है कि यह पुस्तक अमेजॉन पर उपलब्ध है।

सूर्य की पाराबैगनी किरणो से हमारी रक्षा करती है-ओजोन परत

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लाल बिहारी लाल                                                                                                                                           प्रदूषण के  असर से, वातावरण मलीन, लाल धरा तो धरा अब, हुआ ओजोन क्षीण। ओजोन (O 3 )  आक्सीजन तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली एक गैस है जो वायुमण्डल में बहुत कम मत्रा (0.02%) में पाई जाती हैं। यह तीखे गंध वाली अत्यन्त विषैली गैस है। इसके तीखे गंध के कारण ही 1940 में शानबाइन ने इसे ओजोन नाम दिया जो यूनानी शब्द ओजो  से बना है जिसका अर्थ है सूंघना। यह जमीन के सतह के उपर अर्थात निचले वायुमंडल में यह एक खतरनाक दूषक है, जबकि वायुमंडल की उपरी परत ओजोन परत के रूप में यह सूर्य केपराबैंगनी विकिरण (खतरनाक किरणों) से पृथ्वी पर जीवन को बचाती है, जहां इसका निर्माण ऑक्सीजन पर पराबैंगनी किरणों के प्रभाव  स्वरूप होता है।1965 में सोरेट ने यह सिद्द किया की ओजोन ऑक्सीजन का ही एक अपरूप है। यह समुद्री वायु में उपस्थित होती है। समय के साथ मनुष्य विज्ञान के क्षेत्र में कई उलेखनीय काम किया है। इसका परिणाम भी प्रकृति पर पड़ा है। आज हमे गाड़ियां ,मशीन एल.पी.जी,फ्रीज

विश्व के कोने-कोने में हिंदी और हिन्दुस्तान का झंडा बुलंद करने वाले भारतवंशियों को जोड़ा जा सके-प्रो.नजमा अख्तर

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नयी दिल्ली - जामिया मिल्लिया इस्लामिया के राजभाषा हिंदी प्रकोष्ठ द्वारा हिंदी पखवाड़ा समारोह का आयोजन 01 सितंबर से 15 सितंबर तक ऑनलाइन माध्यम से किया गया । हिंदी दिवस के अवसर पर एक अंतरराष्ट्रीय काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। काव्य-गोष्ठी शुरू होने से पूर्व हिंदी दिवस के अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के संदेश का वाचन सबकी उपस्थिति में किया गया| इस काव्य-गोष्ठी की मुख्य अतिथि जामिया की कुलपति प्रो.नजमा अख्तर रहीं और अध्यक्षता प्रो. इंदु विरेंद्रा ने की| काव्य-गोष्ठी में अपने आशीर्वचन के दौरान कुलपति प्रो.नजमा अख्तर ने इस बात पर बल दिया कि हमें हिंदी के ऐसे कार्यक्रमों का हरदम आयोजन करते रहना चाहिए जिसमें विश्व के कोने-कोने में हिंदी और हिन्दुस्तान का झंडा बुलंद करने वाले भारतवंशियों को जोड़ा जा सके| इस अंतरराष्ट्रीय काव्य-गोष्ठी का आयोजन sसृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका के सहयोग से किया गया जिसमें पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ. शैलेश शुक्ला और मुख्य संपादक पूनम चतुर्वेदी शुक्ला ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढाई| काव्य-गोष्ठी में ऑस्ट्रे

Delhi नजफगढ़ क्षेत्र से 10 प्राइमरी शिक्षकों को सर्वोत्तम शिक्षक सम्मान

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UPSSF बिना वारंट किसी की भी गिरफ्तारी

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हिंदी को आत्मसात करें

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Special on HINDI DAY | 2020 हिंदी दिवस पर विशेष

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शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में 32 शिक्षक सम्मानित

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ट्रक मालिक आमतौर पर ठगों के आसान लक्ष्य बन जाते हैं

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ट्रक मालिक नयी तकनीक के उपयोग के साथ अपने व्यवसाय की सुरक्षा कर रहे हैं। सेंसर और सॉफ्टवेयर्स के क्षेत्र में नवाचार भारत में परिवहन के सुनहरे युग का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। कई स्टार्टअप हैं जो ट्रक मालिक की विभिन्न समस्याओं को हल करने पर काम कर रहे हैं। गुड़गाँव का  WheelsEye   भी ऐसा ही एक युवा स्टार्टअप है जो लाखों ट्रक मालिकों को प्रौद्योगिकी अपनाने, लाभप्रदता और व्यावसायिक सुरक्षा बढ़ाने में मदद कर रहा है। नयी दिल्ली : यदि आप एक ट्रक मालिक हैं, तो आपको मेहनत की कमाई खोने का खतरा हो सकता है। 2020 लगभग जा ही चुका है, तकनीक तेज़ी से विकसित हो रही है, और ठगी करने वाले पहले से कहीं अधिक सक्रिय एवं शक्तिशाली हैं। अक्सर मामूली शिक्षा और कम सूचित समुदायों से आने वाले ट्रक मालिक आमतौर पर ठगों के आसान लक्ष्य बन जाते हैं। नकली ट्रांसपोर्टर्स, चोरों से लेकर बहुरूपियों तक बहुत सारे स्कैमर हैं जो निर्दोष और अनजान ट्रक मालिकों का शिकार करते हैं। हाल ही में हुई एक घटना के बारे में, गुरुग्राम से एक ट्रक मालिक बुलंद सिंह बताते हैं कि कैसे एक व्यक्ति ने ट्रांसपोर्टर होने का दावा करते हुए उससे 15,000

अब तुरंत डिजिटल मोटर इंश्योरेन्स जारी हो जायेगा

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भारत के गैर-महानगरों को सेवाएं प्रदान करने वाला यह बहु-भाषी प्लेटफॉर्म 11 क्षेत्रीय भाषाओँ  में उपलब्ध है, जो ऑनगो टर्मिनल्स के माध्यम से उपभोक्ताओं एवं सेवा प्रदाताओं की ज़रूरतों को पूरा करेगा। इसके अलावा, यह मंच उपभोक्ताओं की बीमा संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कई कॉम्प्लीमेंटरी सेवाएं भी प्रदान करेगा जैसे इंटीग्रेटेड क्लेम मैनेजमेन्ट सिस्टम, ऑनलाईन पॉलिसी कैंसिलेशन एण्ड एंडोर्समेन्ट आदि। नयी दिल्ली : भारत की आम जनता के लिए बीमा सेवाओं को लोकतांत्रिक बनाने के प्रयास में एजीएस ट्रांज़ैक्ट टेक्नोलॉजीज़ ने ग्लोबल-इंडिया इंश्योरेन्स ब्रोकर्स (जीआईआईबी) के सहयोग से ऐलान किया है कि ऑनगो मर्चेन्ट्स अब ऑनगो एंड्रोइड पीओएस टर्मिनल्स के माध्यम से अपने उपभोक्ताओं को तुरंत डिजिटल मोटर इंश्योरेन्स जारी कर सकेंगे। उद्योग जगत में पहली बार पेश किए गए इस समाधान के माध्यम से दोपहिया एवं चार-पहिया वाहनों के मालिक पूर्णतया डिजिटलीकृत एवं दस्तावेज रहित प्रक्रिया के माध्यम से सुलभ टचपॉइन्ट्स जैसे फ्यूल रीटेल स्टेशनों और स्थानीय/ किराना स्टोर्स से मोटर इंश्योरेन्स पा सकेंगे। पहले चरण में ऑनगो और जीआईआईबी

रोज़गार ऐप "श्रमिक बंधु" प्रवासी एवं दिहाड़ी मजदूरों को काम ढूंढने में मदद करेगा

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श्रमिक बंधु कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लिए निःशुल्क मार्केटप्लेस होगा, जहां वे ज़रूरत, लोकेशन और अनुभव के अनुसार नौकरी ढूंढ सकेंगे या ज़रूरतमंदों को नौकरी दे सकेंगे। श्रमिकों को इस ऐप पर अपना प्रोफाइल-नाम, फोन नंबर, जन्म दिनांक, आधार नंबर और वैरिफिकेशन विवरण (राशन कार्ड/ वोटर आईडी/ लाइसेंस नंबर) देना होगा। इसके बाद वे टेक्स्ट या वीडियो के रूप में अपना रेज़्यूमे अपलोड कर सकते हैं और नियोक्ता अपनी ज़रूरत के अनुसार उनका चयन कर सकता है। यह ऐप अंग्रेज़ी और हिंदी भाषा में उपलब्ध है। इसे गूगल ऐप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।   नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी ने भारतीय रोज़गार की स्थिति को पूरी तरह बदल दिया है। देश में तकरीबन 40 मिलियन लोगों को लॉकडाउन के चलते अपनी नौकरी खोनी पड़ी, बड़ी संख्या में भारतीय आबादी की आजीविका पर इसका बुरा असर पड़ा है। लॉकडाउन के प्रतिबंधों के हटने के साथ, धीरे धीरे सभी कार्यस्थलों ने अपना संचालन फिर से शुरू कर दिया, किंतु बहुत से प्रवासी और दिहाड़ी मजदूर अपने लिए सही नौकरी की तलाश में जूझ रहे हैं, ताकि वे अपनी आजीविका चला सकें।  इन मजदूरों की मदद के लिए दिल्ली केे एक उद्