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लोकतंत्र के मंत्र की गूँजे है आवाज़

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०  सुषमा भंडारी ०  पाँडव, पृथ्वीराज ने किया यहाँ पर राज। विकसित विस्तृत की धरा मंदिर - मस्जिद - ताज़।। दिल्ली भारत देश में करती आई राज। लोकतंत्र के मंत्र की गूँजे है आवाज़ ।। भारत की सरकार में दिल्ली है सिरमौर। जन- जन में दिल्ली बसे सबको देती ठोर।। भगवां मेरे देश का है इतिहासिक रंग। चहुँदिश लहराते दिखे मुझको तीनों रंग।।

भारतभूमि में बसे ,अनगिन संत औ पीर

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०  सुषमा भंडारी ०  अमृतमहोत्सव मना, हर घर है खुशहाल देख तिरंगा झूमता, चमका माँ का भाल भारतभूमि में बसे ,अनगिन संत औ पीर वीर सपूतों की धरा , हर दिल की जागीर मिट्टी को वंदन करें, मिट्टी है अनमोल चंदन सम है ये तिलक, जाने ये भूगोल नव रत्नों से है भरी , भारत भू की रेत हरी हरी वसुन्धरा, सोने जैसे खेत ये मिट्टी है बोस की , भगत सिंह की आन। लहराये जब केसरी, कण कण में मुस्कान।। जाने कितने शहंशाह, इस मिट्टी में लीन। संत, पीर, फ़क़ीर सभी, नतमस्तक तल्लीन।।

अगस्त क्रांति के नायकों के बलिदान को नयी पीढी़ को अवगत कराने की जरूरत--ज्ञानेन्द्र रावत

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली - आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर 1942 के भारत छोडो़ आंदोलन के नायकों की स्मृति में नयी दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के कमला देवी सभागार में समारोह के आयोजन का अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ प्रारंभ हुआ। समारोह के प्रारंभ में प्रख्यात संगीतकार जौहर अली खान के राष्ट्र प्रेम की गीत-ध्वनि और संगीत लहरी और प्रख्यात नृत्यांगना डा० सुमिता दत्त राय की भावभीनी नृत्य प्रस्तुति ने सभी उपस्थित जनों को मंत्रमुग्ध कर दिया। समारोह में उपस्थित विशिष्ठ जनों यथा- प्रख्यात पत्रकार एवं वैदेशिक मामलों के विशेषज्ञ डा० वेद प्रताप वैदिक,  भारत सरकार के पूर्व सचिव आई ए एस एवं पंचगव्य विद्यापीठ के उपकुलपति डा० कमल टावरी, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के निदेशक नारायण कुमार, सुप्रीम कोर्ट के अपर महाधिवक्ता संजीव सहगल, प्रख्यात समाजवादी नेता,चिंतक रघु ठाकुर, साहित्यकार अलका सिन्हा, इतिहासकार डा० संतोष कुमार पटैरिया, पूर्व केन्द्रीय मंत्री संजय पासवान, पूर्व सांसद संतोष भारतीय व सूरज मंडल, प्रख्यात लेखक शाहनवाज कादरी, संगीतकार जौहर अली खान व प्रसिद्ध नृत्यांगना डा० सुमिता दत्त

लोक प्रशासन में संस्कृत शुद्धि का साधन है - कुलपति प्रो वरखेड़ी '

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली । केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में भी संस्कृत को कार्यालय स्तर पर अधिक से अधिक प्रयोग करने की आवश्यकता है क्योंकि अपना विश्वविद्यालय संस्कृत के उन्नयन के लिए भारत सरकार का नोडल निकाय है । अतः इससे संस्कृत भाषा का यह उपक्रम देश व्यापी हो सकेगा । साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए आदेश की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए  संस्कृत सप्ताह के चौथे दिन केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम में ' कार्यालयीय व्यवहारे संस्कृतप्रयोग:' नामक एक दिवसीय महत्त्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन हुआ । इसमें इस विश्वविद्यालय (मुख्यालय) के सभी संकाय सदस्यों अधिकारियों तथा कर्मचारियों ने बढ़ चढ़ भाग लिया । इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में अध्यक्ष, विद्युत्- विनियामक- आयोग तथा पूर्व न्यायमूर्ति , लखनऊ उच्च न्यायालय श्री शबीहुल हसनैन, अध्यक्ष , उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्कृत संस्थान , डा वाचस्पति मिश्र ने सारस्वत अतिथि के रुप में कार्यशाला को संबोधित किया । इसमें हिमाचल राज भवन के सचिव के प्रतिनिधि के

दिल्ली के पुराने सचिवालय व विधान सभा की अनकही कहानी

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०  विनोद तकियावाला ०  विश्व के प्रजातंत्र की जननी भारत,भारत की राजधानी दिल्ली हमारी ऐतिहासिक विरासत को अपनी दिलोजान से संजोय व संवार कर रखने वाली दिल्ली।जी हाँ मै दिल बालों की शहर दिल्ली की बात कर रहा हूँ ' इन दिनों सभी के जुबान पर एक चर्चा है कि अपना देश भारत अपनी आजादी का 75 वर्ष पुरे करने जा रहा है।इस अवसर पर अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है।केन्द्र सरकार द्वारा पुरे बर्ष चले वाले सरकारी कार्यक्रम आयोजित किये गये।केन्द्र सरकार ने इस वर्ष को अमृत महोत्सव को अमृत काल से नबाजा है। वही केन्द्र की सरकार ने हर घर तिंरगा ,तो दिल्ली की सरकार द्वारा हर हाथ तिरंगा का नारा दिया जा रहा है।दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली के विभिन्न जगहों पर 166 फीट का 500 तिरंगा फहरा कर नया इतिहास रचते हुए एक नारा दिया है कि इण्डिया को न०1बनाना है। यह तभी सम्भव है।जब सभी भारत वासी अपने राष्ट्र धर्म का निर्वाह करेंगें।राष्ट्रप्रेम के रंग में अपने आप को सराबोर कर उन स्वतंत्रता के वीर वॉकूरों को याद किया जाय।स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी के उन गुमनामी शहीदों को याद कर भाव पूर्ण श्रद्धांजलि दी जाय।इ

आईआईएमसी और यूनीसेफ के संयुक्त तत्वावधान में संगोष्‍ठी

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० योगेश भट्ट ०  भोपाल : भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी), पश्चिमी क्षेत्रीय केन्द्र, अमरावती और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) के संयुक्त तत्वावधान में ‘बच्चों के मुद्दों पर संचारक संवाद’ विषय पर एक संगोष्‍ठी का आयोजन किया गया। संगोष्‍ठी में वक्ता के रूप में सांची यूनिवर्सिटी ऑफ बुद्धिष्ट-इंडिक स्‍टडीज की कुलपति प्रो. नीरजा ए. गुप्ता, अमर उजाला डिजिटल के सम्पादक जयदीप कर्णिक और ब्रह्मकुमारीज से डॉ. बी.के. रीना ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने की। कार्यक्रम में भोपाल महानगर से बड़ी संख्‍या में समाजसेवी, पत्रकार, लेखक एवं सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर्स उपस्थित थे। संगोष्‍ठी की अध्यक्षता करते हुए आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि जीवन और जीविका दोनों अलग-अलग हैं। संस्कार के अभाव में संस्कृति वाले देश में अनाथालय और वृद्धाश्रम बढ़ रहे हैं। बच्चों में बढ़ती हिंसा की प्रवृत्ति को रोकने के लिए परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ करना पड़ेगा। परिवार एक संस्कारशाला है, वहीं से बच्चों की सभी समस्याओं का समाधान निकलेगा। परिवार और

एटॉमी इंडिया पूरे भारत में ओरल हेल्थ हाइजिन के बारे में जागरुकता पैदा कर रहा है

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली - देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अवसर पर एटॉमी इंडिया पूरे भारतभर में ओरल हेल्थ हाइजिन पहल के जरिये स्वस्थ भारत की कामना करता है। इस पहल के तहत एटॉमी इंडिया देशभर के 75 शहरों में वंचित तबके के बच्चों को एटॉमी ओरल केयर किट बांटने जा रहा है। गुंटूर से कानपुर तक और मोहाली से इम्फाल तक एटॉमी इंडिया संबंधित शिक्षा केंद्रों पर हर दिन एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। इसके बाद 75 दिन तक 75 शिक्षा केंद्रों की मदद से 75 शहरों में जश्न भी मनाया जाएगा। एटॉमी इंडिया के प्रबंध Dr. निदेशक अब्राहम ली ने कहा, “ओरल हेल्थ नागरिकों के संपूर्ण स्वास्थ्य का एक अहम हिस्सा है। पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए एटॉमी इंडिया वंचित तबकों के बच्चों की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने की कोशिश कर रहा है, जिनके पास ओरल हेल्थ की देखभाल के लिए आवश्यक संसाधनों या पहुंच नहीं है। इसका असर उनके संपूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।” एटॉमी इंडिया के सीओओ राहुल कोकडवार ने कहा, “हम हमारा 75वें स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मना रह हैं। 75 साल पहले हम गुलामी और यातनाओं से मुक