दीप मालाओं का महामहोत्सव है दिवाली ' पर्व एक ,किदवंती कथाएं अनेक
0 विनोद तकियावाला 0 ब्रह्म पुराण के अनुसार आज के दिन अर्धरात्रि के समय घन की देवी महालक्ष्मीजी के भुलोक में यत्र -तत्र विचरण करती हैं। इसलिए नगर वासी इस दिन घर -बाहर को खूब साफ -सुथरा करके,आम के पत्तों ,केले का खम्ब और फूलों और रंगोली से सजाया -संवारा जाता हैं। ताकि जब लक्ष्मीजी आये वह प्रसन्न होकर स्थायी रूप से अपने भक्तों के घर निवास करती हैचौथे दिन गोवर्धन पूजा तथा पांचवें दिन द्धितीया को भाईदूज ,जिन्हें विभिन्न वर्गों के लोग बड़ी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।वास्तव में दीप मालाओं का महापर्व धनतेरस ,नरक चतुर्दशी तथा महालक्ष्मी पूजन --इन तीनों पर्वों का मिश्रण हैं। दीपावली का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण त्रयोदशी(धनतेरस )से कार्तिक मास के शुक्ल द्वितीया (भाईदूज )तक मनाया जाने वाला पंच दिवसीय -महोत्सव पर्व है। कार्तिक मास की अमावस्या 'दीपावली 'भारतीय सभ्यता ,संस्कृति की अस्मिता की पहचान है।इन 5 दिनों में सर्वप्रथम त्रयोदशी को धनतेरस के दिन भगवान धनंवतरी का पूजन होता है ,दूसरे दिन मृत्यु के देवता यमराज के निर्मित नरक चतुर्दशी (रूप चौदस )मनाई जाती है।जिसे छोटी दीपावली भी