“2023 में आज भी हमें जातिवाद पर बात करनी पड़ रही है| : सुरेंदर एस. जोधका
० अशोक चतुर्वेदी ० जयपुर - ‘कास्ट मैटर’ ने श्रोताओं को समाज की वास्तविकता से रूबरू कराया| सत्र सूरज येंग्ड़े की किताब, कास्ट मैटर पर आधारित था, जिसमें सूरज से बात की वरिष्ठ अकादमिक सुरेंदर एस. जोधका ने| सत्र की शुरुआत करते हुए जोधका ने भारत में जातिवाद के इतिहास पर रौशनी डालते हुए कहा, “2023 में आज भी हमें जातिवाद पर बात करनी पड़ रही है| भारत को आज़ाद हुए 75 साल हो गए हैं, हालाँकि आज जाति के बारे में जो बात हो रही है वो 70 और 80 के दशक से अलग है|” उन्होंने मंडल मिशन के माध्यम हरिजन, ओबीसी और दलितों के संघर्ष को व्यक्त किया| जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का चौथा दिन, पेंजे बैंड के सुमधुर संगीत के साथ हुई| भारतीय और पश्चिमी संगीतकारों वाला ये बैंड अपने सुरों के माध्यम से इस सम्मिलन के जादू को जगाने में कामयाब रहा| विवेकानंद के ज्ञान, हरिप्रसाद चौरसिया की विरासत, जाति प्रथा के दंश, आज़ादी की कीमत और कला के विविध रूपों पर विस्तार से बात हुई| लम्बे समय जातिवाद के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले लेखक और विचारक सूरज येंग्ड़े ने विजय सिंह पथिक सहित उन सभी विचारकों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस दिशा में काफी