संवैधानिक अधिकारों के समक्ष वर्तमान समय की चुनौतियां" अ भा जनवादी महिला की गोष्ठी में चर्चा
० आशा पटेल ० जयपुर -/ बेटा-बेटी की सामाजिक भेदभाव की धारणा प्रत्यक्ष तौर देखी जा सकती है। महिलाओं के सामाजिक भेदभाव ही नही आर्थिक और राजनीतिक भेदभाव जारी है। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन आज भी हम कई क्षेत्रों में देख रहे हैं। क्यों पूर्ण बहुमत की सरकार होकर भी भाजपा की केंद्रीय सरकार ने महिलाओं को संदन में बराबरी का कानून नहीं किया है? 33% हिस्सेदारी पर तो राजनीतिक सहमति बनी हुई थी, फिर भी संसद के समक्ष लंबित विधेयक आज तक क्यो पारित नहीं किया गया? अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में महिलाओं की समानता ,स्वतंत्रता और सामाजिक रूढ़ियों से मुक्ति के लिए निरंतर जारी संघर्ष की समीक्षा कर भावी कार्यक्रम पर विचार किया गया। इस बैठक में देश के 23 राज्यों के साथ राजस्थान के सभी प्रमुख जिलों में इसकी इकाइयों की महिला साथियों ने महिलाओं की स्थिति के साथ साथ आम आदमी के जीवन से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार आदि पर विचार किया और सम्मानजनक जीवनस्थतियों को हासिल करने के लिए निरंतर संघर्ष करने का संकल्प लिया गया।