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सोनम वांगचुक प्रतिष्ठित संतोकबा मानवतावादी पुरस्कार से सम्मानित

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० योगेश भट्ट ०  सूरत: एस आर के नॉलेज फाउंडेशन, श्री रामकृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की परोपकारी शाखा है। जो की विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हीरा क्राफ्टिंग और एक्सपोर्ट कंपनी है, ने सोनम वांगचुक, एक भारतीय इंजीनियर, प्रर्वतक, शिक्षा और सतत विकास सुधारवादी, और छात्रों के शैक्षिक और सांस्कृतिक आंदोलन (एस इ सी एम ओ एल) लद्दाख के संस्थापक-निदेशक को प्रतिष्ठित संतोकबा मानवतावादी पुरस्कार से सम्मानित किया। पुरस्कार समारोह का आयोजन लद्दाख में किया गया था, जिसमें राहुल ढोलकिया, व्यवसायी - एसआरके, ने सोनम वांगचुक को ,मुख्य अतिथि नीलम मिश्रा, प्रथम महिला (लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर की पत्नी) ने पुरस्कार प्रदान किया। सम्मानित अतिथि रानी सरला छेवांग थीं; गीतांजलि जेबी, सोनम वांगचुक की पत्नी और हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (एचआईएएल) की सह-संस्थापक और निदेशक, और एडवोकेट श्रीमती थिनलेस एंगमो (सोनम की बड़ी बहन), जैसे गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में पुरस्कार प्रदान किया। समारोह में  सोनम वांगचुक के छात्रों और पूर्व छात्रों सहित उनके परिवार ने भी भाग लिया। "यह बात दिल को छू गयी कि यह म

हिंदी वेब सीरीज "माई चांस" की शूटिंग मुंबई में शुरू

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०  संत कुमार गोस्वामी ०  मुंबई -हिंदी वेब सीरीज "माई चांस" की शूटिंग इन दिनों मुंबई के सुंदर वादियों में बहुचर्चित कलाकारों के द्वारा की जा रही है यह फिल्म के मैक्स डिजिटल ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रसारित की जाएगी  मौजूदा समय में  फिल्म सामाजिक कुरीतियों और सोशल मीडिया पर चरित्र हनन पर कैसे रोक लगे इस फिल्म में दिखाई गई है । माई चांस वेब सीरीज जागेश्वरी फिल्म के बैनर तले बन रही है इस सीरीज में मशहूर टीवी एक्टर कृप सुरी काम कर काफी खुश है , कृप सूरी कई हिंदी सीरियल में काम कर चुके है । वेब सीरीज के निर्माता सचिन गोस्वामी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते नजर आएंगे जो कि इंस्पेक्टर का रोल अदा कर रहे हैं।  इस वेब सीरीज में कलाकारों द्वारा कुरीतियों पर अंकुश कैसे लगे, लोग कैसे महफूज हो इससे निजात कैसे मिले जैसी इनकी अहम भूमिका नज़र आएगी । नारी शक्ति का आदर करना चाहिए । सकारात्मक सोच कैसे विकसित हो इस पर आधारित है । निर्देशक माधव सक्सेना द्वारा "माई चांस"के डायरेक्शन में वेब सीरीज का निर्माण शुरू किया गया है । पूर्व सांसद लोकसभा संजय दीना पाटिल की बेटी राजोल पाटिल इस वेब सी

देश में पर्यटन के क्षेत्र में आज अग्रणी है राजस्थान - धर्मेंद्र सिंह राठौड़

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० आशा पटेल ०  जयपुर । राजस्थान की पर्यटन नीतियां देश में सबसे श्रेष्ठ हैं, जो इसे भारत में पर्यटन का अग्रणी बनाती हैं। ग्रामीण पर्यटन नीति, राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना, राजस्थान फिल्म पर्यटन प्रोत्साहन नीति जैसी भविष्योन्मुखी नीतियां राजस्थान को एक पसंदीदा डेस्टिनेशन बनाती हैं। राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य भी है जहां पर्यटन को बढ़ावा देते हुए इसे उद्योग का दर्जा दिया गया है। यह बात राजस्थान टूरिज्म डवलपमेंट कॉर्पोरेशन (आरटीडीसी) के चेयरमैन धर्मेन्द्र सिंह राठौड़ ने कही। वे जय महल पैलेस में द ग्रेट इंडियन ट्रैवेल बाजार के 12वें संस्करण के उद्घाटन के अवसर पर संबोधन दे रहे थे। तीन साल के अंतराल के बाद द ग्रेट इंडियन ट्रैवेल बाजार का आयोजन, जो 25 अप्रैल तक चलेगा। जीआईटीबी का आयोजन राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग, भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा किया जा रहा है। इस आयोजन को होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (एचआरएआर), इंडियन हेरिटेज होटल्स एसोसिएशन (आईएचएचए.) और राजस्थान एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स (राटो) जैसे प्रत

वरिष्ठ पत्रकार दयानंद वत्स की 42 वर्षीय पत्रकारीय यात्रा आज भी अनवरत जारी

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली -  वरिष्ठ पत्रकार दयानंद वत्स की 42 वर्षीय पत्रकारीय यात्रा आज भी अनवरत जारी है। यह कहना है प्रो. (डॉ.) रामजीलाल जांगिड का जो सेवानिवृत्त पाठयक्रम निदेशक रहे हैं भारतीय भाषा पत्रकारिता विभाग, भारतीय जन-संचार संस्थान, नई.दिल्ली के। उनका कहना है कि दिल्ली के ठेठ ग्रामीण परिवेश के बरवाला गाँव से अस्सी के दशक में जब पहली बार कोई युवा छात्र पत्रकारिता की शिक्षा के लिए देश के सर्वोच्च संस्थान आई.आई.एम.सी में मेरे पास आया तो उसमें मुझे भविष्य की संभावनाएं दिखीं।  दयानंद वत्स ने पत्रकारिता की शिक्षा भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली के भारतीय भाषा पत्रकारिता विभाग द्वारा 2 से 13 मई 1981 तक आयोजित ग्रामोन्मुख पत्रकारिता पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में ली थी। 26 जून से 9 जुलाई 1984 तक उसने हिंदी पत्रकारिता पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में अपनी जानकारी पुष्ट की। वर्ष 1985 में उसने पत्राचार से राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर का स्नातकोत्तर पत्रकारिता डिप्लोमा पाठ्यक्रम द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण किया। 6 से 17 जनवरी 1986 तक उसने विज्ञापन एवं जन-संपर्क पाठ्यक्रम पूरा किया। वर्ष 1986 में उ

सेलुलर फ्रैक्शन थेरेपी एवं स्टेम सेल थेरेपी द्वारा लाइलाज बीमारियों का इलाज

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली, इंडियन रिजनरेटिव सोसाइटी की छटवी वार्षिक कांफ्रेंस का आयोजन इंडियन हैबिटैट सेंटर में  में आज से दो दिवसीय 22 एवं 23 को  होने जा रहा हैं,जिसमे देश विदेश के रिजनरेटिव मेडिसिन विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा आधुनिक सेलुलर फ्रैक्शन एवं स्टेम सेल थेरपी के एडवांसमेंट को लेकर जानकारी दी जाएगी |  कांफ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग चेयरमेन डॉक्टर बी.एस. राजपूत एवं ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉक्टर विनोद जैन वोरा द्वारा बताया गया कि भारत में अब रिजनरेटिव मेडिसिन एवं स्टेम सेल थेरेपी से इलाज की अपार संभावनाएं हैं |   चिकित्सकों द्वारा भारत के प्रधानमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री से मांग की गयी कि वर्ष 2022 में भारत सरकार के डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज द्वारा सेलुलर थेरेपी की स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर एवं यह किन बीमारियों में उपयोगी हैं, को लेकर को लेकर एक प्रारूप बनाया गया था,जिसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए ताकि प्रत्येक भारतीय को रिजनरेटिव मेडिसिन द्वारा इलाज सुविधा उपलब्ध हो सकें, एवं भारत स्टेम सेल थेरेपी एवं रिजनरेटिव मेडिसिन से उपचार उपलब्ध कराने में वर्ल्ड लीडर बन सकें | इस कां

कला और संस्कृति के संरक्षण का उदाहरण है “थेवा”

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली। सोने की महीन चादरों को रंगीन कांच पर जोड़कर छोटे उपकरणों की मदद से सोने पर डिजाइन तैयार करने का नाम है “थेवा”। जो कि भारत में सदियों से प्रचलित है। इस कला में अब राजस्थान राज्य के मात्र 12 परिवार लगे हुए हैं। इस हुनर पर आधारित चलचित्र “थेवा” का प्रदर्शन किया गया। निर्देशिका शिवानी पांडेय द्वारा निर्देंशित चलचित्र ”थेवा“ में उन गुमनाम नायकों को दिखाया है जो रहस्यमय तरीके से निर्मित कला को जीवित रखे हुए हैं। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ऐसे ही कला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए चलचित्र तैयार करता रहा है। निर्देंशक शिवानी पांडेय ने फिल्म के निर्मित होने की कहानी को दर्शकों के साथ साझा किया। दर्शकों ने भी निर्देंशक से फिल्म से जुड़े प्रश्नों को किया। लेखिका मालविका जोशी ने फिल्म की तारीफ करते हुए कहा कि अनोखी कला के बारे में दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसी फिल्मों के कारण ही कला और संस्कृति का संरक्षण किया जा सकता है। सेंसर बोर्ड के पूर्व सदस्य अतुल गंगवार ने कहा कि ऐसे चलचित्र ही हमारी संस्कृति और कला को जीवंत बनाए हुए हैं।  इससे अन्य राज्यों की

माँगते क्यूँ हो तुम,माँग लो सदगुरू को

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०  विनोद तकियावाला ०   आदि काल से ही हमारे यहाँ गुरु शिष्य की परम्परा है।इसी श्रंखला मे अपने जीवन के कुछ स्वर्णीम पल मुझे अपने सद्गुरू देव - माँ के सात्धिय में बिताने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।यहाँ पर उल्लेख करना जरूरी है कि जब गुरु के रूप स्वयं सद्गुरु ही आप के समक्ष आपका हाथ थाम लेता है,तो बात ही कुछ अलग होती है।मै अपने को बड भागी मानता हुँ कि मुझे सद्गुरू के रूप में महात्मा सुशील कुमार व ममतामयी 'करूणा की जीती जागती मुर्ति माँ विजया मिली ह लेकिन श्रृष्टि के रचियता,पालन कर्त्ता के संदर्भ मे कुछ कहने या उनके संदर्भ मे कुछ लिपिबद्ध करना एक अति कठिन कार्य है,ठीक वैसे जैसे सम्पूर्ण विश्व को,अपने दिव्य प्रकाश से प्रकाशित करने वाले भुवन भास्कर को माचिश की एक छोटी सी प्रज्वलित तीली से प्रकाश दिखाने की तुच्छकोशिश है।आज मै अपने आप को असहाय पा रहा हुँ। अप्रैल माह का आगमन हो गया है। यह माह हम इस्सयोगी भाई - बहन के लिए विशेष महत्व का मास है । यह परम चैत्यन का मास है।क्योकि करीब दो दशक पूर्व इस मास के 23 - 24 सद्गुरुदेव भौतिक शरीर का परित्याग कर सम्पूर्ण जगत के कल्याण हेतु बहामण्ड मे व्याप्त