दुनिया की 50 फीसदी से ज्यादा नदियों के बहाव में कमी आयेगी
० ज्ञानेन्द्र रावत ० जलवायु परिवर्तन वर्तमान में वैश्विक स्तर पर ऐसी समस्या बन गयी है जिससे निपटने को दुनिया के देश अपने स्तर से काम कर रहे हैं लेकिन समाधान मिलता नजर नहीं आ रहा है। इसमें भी सबसे चिंतनीय स्थिति यह है कि आज धरती तप रही है। उसमें सबसे बडी़ चिंता की बात यह है कि इसमें दिनोंदिन तेजी से बढो़तरी हो रही है। यह थमने का नाम नहीं ले रही है। वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के उद्देश्य से 2015 में 196 देशों ने पेरिस अंतरराष्ट्रीय जलवायु समझौते के तहत तय किया था। इस दिशा में अभी तक कितनी कामयाबी मिली है यह परखने का समय है। हकीकत यह है कि अभी भी दुनिया पेरिस समझौते के लक्ष्य से बहुत दूर है और हाल फिलहाल उस लक्ष्य को पाने की उम्मीद भी कम है। मौजूदा हालात इसकी गवाही देते हैं। हकीकत यह भी है कि लोग अभी भी जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। सबसे खतरनाक स्थिति यह है कि दुनिया में ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ने की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है जो शिखर पर पहुंचने के कगार पर है। हम दावे कुछ भी करें हकीकत यह है कि दुनिया में सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन