Uttrakhand पिथौरागढ़ के बिसाड के भट्ट के वंशज करायेंगे भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा
० त्रिलोक चंद्र भट्ट ० नयी दिल्ली - ‘’भट्ट’’ का शाब्दिक अर्थ ”शस्त्र और शास्त्र का विद्वान” होता है। भट्ट कोई जाति नहीं बल्कि एक उपाधि है। जब ब्राह्मण वंश के लोग विद्या के क्षेत्र में ज्ञानार्जन कर अभूतपूर्व सफलता हासिल की तब उन्हें भट्ट की उपाधि प्रदान की गई। ब्रह्म को जानने वाला ब्राह्मण एवं जो ब्रह्म को जानकर लोगों को समझाए वह ब्रह्म भट्ट ब्राह्मण है । उत्तराखण्ड के कुमाऊँ अंचल में रहने वाले ‘भट्ट’ ब्राह्मणों की एक प्रमुख उपजाति है। पिथौरागढ़ से लगे हुए बिसाड़ के भट्ट प्रमुख हैं। बिसाड़ के भट्टों के मूल-पुरुष श्रीविश्व शर्मा दक्षिण द्रविड़-देश से बम राजाओं के जमाने में सोर में आये। बम राजा ने उन्हें वेदपाठी समझ कर अपने राज्य में आश्रम दिया। बिसाड़ गांव जांगीर में दिया। कुछ समय बाद उन्हें राज कर्मचारी भी बनाया। कुमाऊँ के भट्ट कालान्तर में बिसाड़, पल्यूं, खेतीगांव, पांडेखोला, काशीपुर रामनगर आदि में रहते थे। जिसमें बाद देशभर उनकी शाखाएं फैली। बिसाड़ के भट्टों अलावा कुछ और प्रकार के भट्ट भी हैं जो राजा भीष्म चन्द के समय बनारस से दक्षिण भारत के आये। राजा ने उनको शुद्ध ब्राह्मण देखकर दरबार