जगमग दीप जले
। जगमग दीप जले । हर दिशा में नव दीप जलाने ही पड़ेंगे। घोर अंधेरा है छाया, मनों से तिमिर भगाने ही पड़ेंगे। दिग्भ्रमित हो गया मानव, नव पथ खोजने ही पड़ेंगे। ज्ञान का आलोक कर, अज्ञान तम हरने पड़ेंगे।। वाकवाणी कटुमय हो चली, मधुर स्वर भरने ही पड़ेंगे। स्नेहमयी वर्तिका होगी दियों में, लोक मंगल हेतु जलाने ही पड़ेंगे। हर दिशा में दीपक जलाने ही पड़ेंगे।। प्रतंत्रता की छाया छंट गयी, स्वतंत्रता के बीज बोने ही पड़ेंगे। विश्ववंन्धुत्व की कामना के लिए, ज्ञान के दीपक जलाने ही पड़ेंगे। असत्य के दैत्याकार तम को मिटाने, सत्यरूपी दीपक जलाने ही पड़ेंगे।। हर दिशा में ज्ञान के दीपक जलाने ही पड़ेंगे।