खेलूंगी मैं कैसे होली कौन जरेगा हाय ठिठोली
सुषमा भंडारी द्वार तकूं भीगे नैनों से आया न हरजाई क्यूं बाट निहारूं पल-पल तेरी तूने देर लगाई क्यूं चौक बुहारूं आंगन लीपूं रंगोली में सथिये खीन्चूं जल भरने मै जाउँ घाट पर कांपती- सी घबराई क्यूं तूने देर लगाई क्यूं चन्दा आवे सूरज आवे कोयल आकर गीत सुनावे बरस बीत गये तुम न आये सूरतिया न दिखाई क्यूं तूने देर लगाई क्यूं न कोई खत है न सन्देशा जाकर बैठ गये हो विदेशा फागुन का महीना है आया याद सभी बिसराई क्यूं तूने देर लगाई क्यूं खेलूंगी मैं कैसे होली कौन जरेगा हाय ठिठोली चूड़ी-बिन्दिया-कंगन सूना मुझसे रूठे कन्हाई क्यूं तुने देर लगाई क्यूं।