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भारतीय मुसलमानों से अपील रमजान के पवित्र महीने के दौरान लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन करें

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नयी दिल्ली - हिन्दुस्तान में भी लाखों मस्जिद, दरगाहें, इमामबाड़े, ईदगाहे, मदरसे एवं अन्य धार्मिक स्थल है जहां रमजान के पवित्र महीने में इबादत, तराबी, इफ़्तार आदि का आयोजन होता है, जहां बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने की परम्परा रही है। लेकिन कोराना महामारी के मद्देनजर देश भर में लॉकडाउन, कर्फ्यू, सोशल डिस्टेंसिंग के दिशा-निर्देश केन्द्र एवं सभी राज्यों सरकारों द्वारा लागू किये गए हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अपील की, कि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए 24 अप्रैल से शुरू हो रहे रमजान के पवित्र महीने के दौरान भारतीय मुसलमान, लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी ईमानदारी से पालन करते हुए अपने-अपने घरों पर ही इबादत करें। मुख्तार अब्बास नकवी, जो कि राज्यों के वक्फ बोर्डों की रेगुलेटरी बॉडी (नियामक संस्था) सेंट्रल वक्फ काउंसिल के चेयरमैन भी हैं। उन्होंने बताया कि राज्यों के विभिन्न वक्फ बोर्डों के अंतर्गत देश भर में 7 लाख से ज्यादा पंजीकृत मस्जिदें, ईदगाहें, इमामबाड़े, दरगाहें एवं अन्य धार्मिक संस्थान आते हैं। कोरोना महामारी के मद्देनजर

स्टैंज़ा लिविंग हर हफ़्ते दिहाड़ी मजदूरों और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को 5000 मील पैकेट बांटेगा 

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नयी दिल्ली : भारत की सबसे बड़ी शेयर्ड लिविंग कंपनी स्टैंज़ा लिविंग ने दिल्ली, बैंगलोर, पुणे, हैदराबाद और इंदौर में प्रत्येक सप्ताह 5000 मील पैकेट्स की आपूर्ति के लिए फूड डिस्ट्रिब्यूशन अभियान शुरू किया है। स्थानीय पुलिस अधिकारियों के साथ हाथ मिलाकर कंपनी लॉकडाउन में फंसे और संसाधनों की कमी से प्रतिकूलता का सामना  कर रहे लोगों को भोजन उपलब्ध कराएगी। स्टैंज़ा लिविंग अधिकारियों द्वारा चिन्हित क्षेत्रों में स्वच्छता से तैयार भोजन की आपूर्ति करेगी, जहां प्रवासी श्रमिकों और दिहाड़ी मजदूरों जैसे महामारी से प्रभावित लोगों की मदद की जा सकेगी। यह स्थानीय निकायों के ऑन-ग्राउंड स्टाफ, फ्रंटलाइन सिविल वर्कर्स और अन्य को भी भोजन उपलब्ध कराएगी। अपनी इस पहल के बारे में बात करते हुए स्टैंज़ा लिविंग के एमडी और सह-संस्थापक संदीप डालमिया ने कहा, “एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट के रूप में हमारा मानना है कि हमें कठिन समय में समुदाय के साथ देने के लिए अपने संसाधनों का लाभ उठाना चाहिए। हमारा फूड डिस्ट्रिब्यूशन अभियान इस दिशा में एक छोटी-सी कोशिश है ताकि हम सबसे कमजोर तबके और सीमित समर्थन के साथ जमीन पर लगातार काम कर

20+ शहर से बढ़कर 33 शहरों में सक्रिय हुई 'सबकी रसोई'

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नयी दिल्ली - लोगों की भारी मांग को देखते हुए 'सबकी रसोई' ने 20+ शहर से बढ़ाकर 33 शहर में जरूरतमंदों को भोजन मुहैया कराने का फैसला किया है।इसके तहत प्रतिदिन 1.50 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध कराने का लक्ष्य था, लेकिन 'सबकी रसोई' के हेल्पलाइन नंबर 6900869008 पर आ रही लोगों की मांग को देखते हुए 1.50 लाख भोजन प्रतिदिन के लक्ष्य से अधिक अब 1.80 लाख से ज्यादा लोगो को भोजन प्रतिदिन उपलब्ध कराया जा रहा है।   I-PAC 7 दिन में ही 10 लाख से अधिक भोजन उपलब्ध करा चुकी है। अब तक पिछले 8 दिनों में देश के 33 शहरों में 11.94 लाख भोजन मुहैया कराया जा चुका है। अगर दिल्ली की बात करें, तो पिछले 8 दिनों में दिल्ली में 2 Lakh भोजन प्रदान किया जा चुका है। आईपैक ने सबकी रसोई पहल की शुरुआत 5 अप्रैल को की थी। इस पहल के तहत जरूरतमंदों को 10 दिनों में (14 अप्रैल तक) कम से कम 15 लाख ताजा भोजन (1.5 लाख प्रतिदिन) उपलब्ध कराना था।   

दलितो के उद्दार के साथ समाजिक भाईचारे को बढावा देने में आगे रहे भीमराव अंबेडकर

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लाल बिहारी लाल   नई दिल्ली। बाबा साहव डा. भीमराव अंबेडकर दलितों के अभिमन्यु संविधान के बास्तुकार और युग निर्माता थे। डा. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में आधुनिक मध्य प्रदेश के मऊ नामक स्थान पर हुआ था । महार परिवार में जन्में डा.अंबेडकर के पिता राम  जी सकपाल ब्रिटीश फौज में सुबेदार थे जबकि माता भीमा बाई ईश्वर भक्त  गृहिणी थी। एक संत ने भविष्यवाणी करते हुए भीमा बाई को आशीर्वाद देते हुए  कहा था कि तुम्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ती होगी। भीमा बाई के पुत्र का नाम भीम रखा गया। इनके पिता रामजी सकपाल सेवा निवृत होने के बाद महाराष्ट्र  के कोंकण क्षेत्र में अम्बावडे गाँव में बस गये। इस कारण इनका नाम स्कूल में भर्ती करवाते समय भीम राव रामजी अम्बावडे लिखा गया। नाम के उच्चारण  में परेशानी होने के कारण स्कूल के एक ब्राहम्ण शिक्षक- रामचंद्र भागवत अंबेडकर ने अपना उपनाम इन्हें रख दिया । तभी से इनका नाम अंबेडकर पडा। डा. अंबेडकर को महार जाति में पैदा होने के कारण स्कूली शिक्षा के दौरान  उन्हें कई कटू अनुभव हुए । उन्हें कमरा में पीछे बैठाया जाता था,पानी पीने  की अलग ब्यवस्था थी। उस समय समाज में काफी

केंद्रीय मंत्री ने व्यापारियों को कोरोना सेनानी बताते हुए उनकी सराहना की

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नयी दिल्ली - कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)  से जुड़े विभिन्न राज्यों के लगभग 100 व्यापारी नेताओं के साथ एक वीडियो कांफ्रेंस के दौरान केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें पुलिस, चिकित्सा और पैरा मेडिकल सेवाओं के समकक्ष  "कोरोना वारियर्स" कहते हुए कहा की वर्तमान लॉकडाउन अवधि में कई बाधाओं और कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद पूरे देश में आवश्यक वस्तुओं की सुचारू और कुशल आपूर्ति बनाए रखने में  देश भर के व्यापारियों का योगदान बहुत बड़ी राष्ट्र सेवा है !  व्यापारियों को संबोधित करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि देश में व्यापारी उम्मीदों पर खरा उतरे हैं और आवश्यक वस्तुओं की समुचित आपूर्ति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और यह सिस्टम इतना सक्षम है कि जरूरी वस्तुओं की उपलब्धता के लिए देश भर के लोगों के बीच कोई कमी नहीं है और कहीं पर भी कोई त्राहि नहीं हुई है ! उन्होंने कहा कि देश में हर एक कोरोना वायरस की चुनौती  का मुकाबला करने के लिए मजबूती के साथ खड़ा है और सभी के सामूहिक प्रयासों से भारत बाकी दुनिया की तुलना में अभी भी बेहतर स्थिति में है, गोयल

एक भी परिवार भूखा नहीं रहेगा,हमारे ही बंधु-भगिनी हैं पूर्वोत्तर के लोग"- संघ

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नई दिल्ली । कोरोना वायरस से बचने के कारण सारे देश मे व दिल्ली में लॉकडाउन घोषित है। इससे कोरोना से बचा तो जा सकता है मगर एक और समस्या है जो इस समय लोगों को तकलीफ़ में डाल रहा है। दिल्ली में प्रवासी मजदूर वर्ग व पूर्वोत्तर राज्यों की जनता बहुत ही अकेली महसूस कर रही है। पूर्वोत्तर के लोगों को प्रवासी मज़दूरों की अपेक्षा अधिक समस्याओं का सामना दिल्ली में करना पड़ा। पूर्वोत्तर से होने के कारण वहाँ के लोगों में व दिल्ली के लोगों में भाषा, प्रान्त, परंपरा के कारण पड़ने वाले फ़र्क के कारण पूर्वोत्तर के लोग दिल्ली में बहुत अकेला और असहाय महसूस कर रहे थे, मगर इससे पहले कि यह विचार उनमें घर करता, एक संगठन तन मन धन से इनके साथ खड़ा हुआ और इन्हें अकेलेपन के विचार से दूर किया। लॉकडाउन के पहले सप्ताह से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रान्त ने पूर्वोत्तर के छात्रों के लिए विशेष हेल्पलाइन नंबर जारी किया। पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर क्षेत्र के हस्तसाल इलाके में पूर्वोत्तर से मिज़ोरम के करीब 50 परिवारों को कच्चा राशन संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा दिया गया है। इन 50 परिवारों में करीब 235 सदस्य रहते हैं। इ

हिंदुस्तान करेगा डॉ बी.आर आम्बेडकर को नमन &TV पर

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नई दिल्ली : हर साल, 14 अप्रैल ‘आम्बेडकर जयंती’ को भारतीय इतिहास के बेहद अद्भुत लीडर्स में से एक की जयंती के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने क्रांति का बिगुल फूंका और ‘डॉ. बी.आर.आम्बेडकर की आवाज के साथ मजबूत हुई। सम्मान से उन्हें ‘बाबासाहेब’, कहा जाता है, उनका जीवन और उनकी बातें कई लोगों के लिये प्रेरणा है। इस आम्बेडकर जयंती पर, ‘बाबासाहेब और एकीकृत भारत की उनकी सोच को विशेष रूप से नमन करने के लिये &TV ने एक पहल शुरू की है, ‘एक देश एक आवाज़’। इस पहल के रूप में चैनल सभी लोगों से एक साथ मिलकर ‘आम्बेडकर जयंती’ मनाने की गुजारिश करता है। इस पहल के हिस्से के तौर पर, चैनल ने 14 अप्रैल को रात 8 बजे, सिर्फ &TV पर भीम वंदना करने और बाबासाहेब को खास श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों से साथ आने की गुजारिश की है। भारतीय संविधान के निर्माता माने जाने वाले, डॉ. बी.आर. आम्बेडकर एक अद्भुत लीडर थे और उनकी सीख अतुलनीय थी। उनका मानना था कि भारत में ‘एक देश एक संविधान’ के माध्यम से ही राष्ट्रीय एकता और अखंडता कायम की जा सकती है। टेलीविजन कलाकारों ने इस महान व्यक्ति के बारे क्या कहा, जिन्होंने एक संविधान