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नॉर्थ ईस्ट में मीडिया शिक्षण को बढ़ावा देगा आईआईएमसी का आइजोल कैंपस : मुर्मू

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० योगेश भट्ट ०  आइजोल । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मिजोरम की अपनी यात्रा के दौरान भारतीय जन संचार संस्थान के स्थाई आइजोल कैंपस का उद्घाटन किया। इस परिसर में संस्थान द्वारा अंग्रेजी पत्रकारिता एवं डिजिटल मीडिया में पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रमों का संचालन किया जाएगा।इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय जन संचार संस्थान, आइजोल के स्थाई परिसर का उद्घाटन करते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। यह परिसर पूरे उत्तर पूर्व में मीडिया और जनसंचार क्षेत्र में शिक्षण एवं प्रशिक्षण को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि आईआईएमसी लगातार सीखने और काम करने के जुनून का माहौल प्रदान करता है और मीडिया एवं जनसंचार के क्षेत्र में नए प्रयोगों को बढ़ावा देता है। आईआईएमसी के उत्तर पूर्वी परिसर ने 2011 में मिजोरम यूनिवर्सिटी की ओर से उपलब्ध कराए गए एक अस्थाई भवन में काम शुरू किया था। नवनिर्मित परिसर के लिए निर्माण कार्य 2015 में शुरू हुआ और यह 2019 में पूरा हुआ। इसकी कुल लागत 25 करोड़ रुपये है। 8 एकड़ भूमि पर बने इस कैंपस में छात्रावास व स्टाफ क्वार्टर के साथ अलग-अलग प्रशासनिक और शैक्षणिक भवन हैं। अपनी स्थापना के समय से यह

पावरग्रिड, उत्तरी क्षेत्र-I में सतर्कता जागरूकता सप्ताह,2022 मनाया

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० योगेश भट्ट ०  फरीदाबाद -  पावरग्रिड, उत्तरी क्षेत्र, पा. प्र.-I में 31 अक्तूबर से 06 नवंबर तक क्षेत्रीय मुख्यालय, फरीदाबाद में सतर्कता जागरूकता सप्ताह, 2020 मनाया गया। समारोह के दौरान श्री ए.के. मिश्रा, कार्यपालक निदेशक (उत्तरी क्षेत्र-I) ने “सदाचारिता, पारदर्शिता एवं नैतिकता के मानक मूल्यों के संचार” हेतु एवं साथ ही भ्रष्टाचार के उन्मूलन हेतु कार्मिकों को फरीदाबाद, क्षेत्रीय मुख्यालय के सभागार कक्ष में अपने विचार व्यक्त किए ।  मनोज कुमार, वरि. महाप्रबन्धक, सतर्कता, उ. क्षे. -I ने सतर्कता जागरूकता सप्ताह, 2022 मनाए जाने के महत्व पर प्रकाश डाला जो कि भारत के लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्म जयंती से जुड़ा है जो अब तक शासन व्यवस्था में भारतीय परंपराओं के उत्कृष्ट मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस वर्ष के सतर्कता जागरूकता सप्ताह का विषय था ‘‘एक विकसित राष्ट्र के लिए भ्रष्टाचार मुक्त भारत. ‘‘  ए. के. मिश्रा, कार्यपालक निदेशक, उ.क्षे-I ने अपने भाषण में नैतिकता, अनुशासन, सत्यनिष्ठा और पारदर्शिता पर ज़ोर दिया जो कि कंपनी और राष्ट् की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण घटक हैं तथा “एक विकसित रा

पटना में आज से 'किताब उत्सव' का आयोजन

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०योगेश भट्ट ०  पटना। किताबों की दुनिया में पचहत्तर साल का अपना सफर पूरा करते हुए साहित्य और प्रकाशन जगत का अग्रणी नाम राजकमल प्रकाशन 9 दिवसीय 'किताब उत्सव' और पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर, सांस्कृतिक परिसर फ्रेज़र रोड में कर रहा है। इस आयोजन में केवल बिहार से 40 से अधिक लेखक, रंगकर्मी, पत्रकार, राजनीतिकर्मी, संस्कृतिकर्मी शामिल हो रहे हैं। इनके अलावा बिहार के सात प्रवासी लेखक भी होंगे। बिहार समेत कुल 8 राज्यों के प्रतिष्ठित लेखक यहां जुटेंगे। बिहार और बिहार से बाहर के चर्चित नौजवान लेखकों से मिलने का अवसर भी इस अवसर पर पाठकों को मिलेगा। 5 नवम्बर से 13 नवम्बर तक आयोजित होने वाले इस उत्सव में लेखकों से पाठकों के संवाद को प्रमुखता दी गई है। रचना पाठ के साथ यहाँ चुनिंदा कृतियों पर बातचीत और रचनात्मक विषयों पर गंभीर विमर्श भी होंगे। कश्मीर, नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ और देश की बदलती हुई सियासत जैसे ज्वलंत विषयों के साथ इस उत्सव में 'हमारा शहर हमारे गौरव' श्रृंखला के तहत रेणु, रामधारी सिंह दिनकर, हरिमोहन झा, नागार्जुन, बेनीपुरी, राजकमल चौधरी, शिवपूजन स

"इगास* उत्तराखण्ड की लुप्त होती दीपावली

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० योगेश भट्ट ०  शायद ही किसी गैर उत्तराखण्डी ने इगास के बारे में सुना होगा, दरअसल आजकल के पहाडी बच्चों को भी इगास का पता नहीं है कि इगास नाम का कोई त्यौहार भी है, । दरअसल पहाडीयों की असली दीपावली इगास ही है, जो दीपोत्सव के ठीक ग्यारह दिन बाद मनाई जाती है, दीपोत्सव को इतनी देर में मनाने के दो कारण हैं पहला और मुख्य कारण ये कि - भगवान श्रीराम के अयोध्या वापस आने की खबर सूदूर पहाडी निवासीयों को ग्यारह दिन बाद मिली, और उन्होंने उस दिन को ही दीपोत्सव के रूप में हर्षोल्लास से मनाने का निश्चय किया, बाद में छोटी दीपावली से लेकर गोवर्धन पूजा तक सबको मनाया लेकिन ग्यारह दिन बाद की उस दीवाली को नहीं छोडा, । पहाडों में दीपावली को लोग दीये जलाते हैं, गौ पूजन करते हैं, अपने ईष्ट और कुलदेवी कुलदेवता की पूजा करते हैं, नयी उडद की दाल के पकौड़े बनाते हैं और गहत की दाल के स्वांले ( दाल से भरी पुडी़) , दीपावली और इगास की शाम को सूर्यास्त होते ही औजी हर घर के द्वार पर ढोल दमाऊ के साथ बडई ( एक तरह की ढोल विधा) बजाते हैं फिर लोग पूजा शुरू करते हैं, पूजा समाप्ति के बाद सब लोग ढोल दमाऊ के साथ कुलदेवी या देवता क

बी एन आई फाउंडेशन जयपुर का मैनेजमेंट छात्रों के लिए विशेष सत्र

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० आशा पटेल ०  जयपुर - बी एन आई जयपुर व्यावसायिक संगठन के तहत बी एन आई फाउंडेशन जयपुर की शुरुआत की गई। फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य छात्रों के जीवन में शिक्षा के क्षेत्र में जो समस्याएं आती है उनका समाधान देना है। वो समस्याएं चाहे कॉपी किताब की स्टेशनरी से ले कर किसी करियर चुनने की राह बताने तक की हो। फाउंडेशन का उद्देश्य छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र की सही राह दिखाना है। बी एन आई के संस्थापक डॉ आइवान माइसनर का मानना है की आज के छात्र कल का भविष्य है और इन्हें सही राह दिखाना बहुत जरुरी है। इसके लिए एक कार्यक्रम बिजनस वॉइस फ्यूचर लीडर कार्यक्रम का आयोजन विश्व भर में इस संगठन द्वारा किया जा रहा है। इसी कड़ी में सुबोध मैनेजमेंट कॉलेज में बी एन आई के सदस्यों द्वारा जो सभी एंटरप्रेन्योर्स है , एम् बी ए के छात्रों के साथ एक सेशन आयोजित किया जिसमें उन्होंने अपने जीवन की सक्सेस स्टोरी छात्रों को बताई। एक सफल व्यक्ति जब अपनी राह में असफलताओं की बात करता है तो सुनने वाले को प्रेरणा मिलती है। बी एन आई के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अक्षय गोयल ने कार्यक्रम की शुरुआत में छात्रों को इस संगठन की कार्य प्रणाली

पायरेसी लेखक, पाठक और प्रकाशक सबके लिए हानिकर है, इसे रोकना जरूरी

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली. भारत में प्रकाशन उद्योग बहुत तेजी से प्रगति कर रहा है लेकिन कॉपीराइट उल्लंघन और पायरेसी जैसी कुछ बड़ी बाधाएं अभी भी उसकी राह का रोड़ा बनी हुई हैं. दुखद है कि तकनीकी कौशल और आधुनिक उपकरणों के चलते हम हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन हमारे ज्ञान का जो मुख्य स्रोत है यानी किताबें, उन पर समय के बदलाव का उल्टा असर पड़ रहा है. इस समय बाज़ार में 20 से 25 प्रतिशत हिस्सा पायरेटेड यानी जाली किताबों का है जिससे पूरा प्रकाशन उद्योग भारी नुकसान उठा रहा है। प्रकाशकों को राजस्व की क्षति हो रही है, लेखकों को रॉयल्टी की और सरकार को टैक्स की. कुछ पाठक और पुस्तक-प्रेमी तर्क देते हैं कि पायरेसी का कारण किताबों की कीमतों का ज्यादा होना, लोगों की फौरी धन कमाने की प्रवृत्ति, बेरोजगारी और किताबों के पुनर्मुद्रण में फ़ोटोकॉपी मशीनों जैसी आसान तकनीकों का आ जाना है. कारण कुछ भी हो, इसका सबसे ज्यादा नुक्सान जिसे उठाना पड़ता है वह प्रकाशक ही है और यही वह बात है जिस पर कोई गंभीरतापूर्वक सोचने को तैयार नहीं  पिछले दिनों राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘रेत समाधि’ (गीतांजली श्री

एनसीआईएसएम,सीएसयू के आयुर्वेद अनुसंधान कार्य का विस्तार करेगा

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली। आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध तथा स्व- रिगपा (एयूएस एंड एस आर) के गुणवत्ता में सुधार तथा लोकहित में भारतीय चिकित्सा के उन्नयन के लिए देश का पहला बहुपरिसरी केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय -सीएसयू, दिल्ली के बीच एक महत्त्वपूर्ण अकादमिक समझौता (एमओयू) करार किया गया है । इस समझौते को लेकर कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने हर्ष जताते कहा है कि इस समझौते से सीएसयू के द्वारा देश की पारंपरिक चिकित्सा आयुर्वेद पद्धति को प्रमाणिक तथा सशक्त रुप से पुनर्स्थापना में बहुत ही बल मिलेगा । इसका बहुत बड़ा कारण यह भी है कि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत शास्त्र तथा इस भाषा के प्रचार प्रसार के लिए भारत सरकार का नोडल निकाय है तथा आयुर्वेद के मूल ग्रन्थ संस्कृत भाषा में ही लिखे गये हैं ।  आज विश्व की दृष्टि न केवल संस्कृत अपितु आयुर्वेद पर भी टिकी है । वैश्विक महामारी कोरोना के समय दुनिया ने फिर से आयुर्वेद विद्या के महत्त्व को समझ सकी है । अतः यह समय आ गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के अन्तर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा को एनसीआईएसएम के साथ कदम मिला कर आयुर्वेद विशेष कर आयुर्