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नाट्यशास्त्र का सिर्फ़ अभ्यास ही नहीं ,अपितु देश विदेश में इसका प्रचार प्रसार होना चाहिए

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० योगेश भट्ट  ०  भोपाल -  नाट्य अनुसंधान केन्द्र के स्थापना उद्देश्य पर प्रकाश डालते कहा कि भोपाल में इस केन्द्र की स्थापना का बहुत बड़ा कारण यह भी है कि यह मध्य प्रदेश भारत का भव्य हृदय स्थल है । केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली , के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने भोपाल परिसर के नाट्य अनुसंधान केन्द्र के द्वारा नाट्यशास्त्र और भारतीय रंगमंच में आचार्य ( एम ए) के अध्ययन की शुरुआत के उद्घाटन सत्र में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि  इस नये पाठ्यक्रम के श्रीगणेश से इस विद्या के प्रयोग, शास्त्र तथा दर्शन का समन्वित रुप से अध्ययन अध्यापन का सही अर्थों में उत्कर्ष होगा क्योंकि नाट्य प्रयोग कलाओं का सहकार होता है और इस केन्द्र के माध्यम से नाट्य विद्या पूरे विश्व में प्रतिष्ठित होगा और बहूचर्चित नाट्यविद् आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी जी के मार्गदर्शन में इस अनुसंधान केन्द्र की जो स्थापना की गयी थी , उस लक्ष्य को भी पर्याप्त बल मिलेगा ।  कुलपति प्रो वरखेड़ी ने यह भी कहा कि यह विश्वविद्यालय संगीत नाटक अकादमी से भी समझौता ज्ञापन करने जा रहा है।आगे उन्होंने यह भी कहा कि लंदन के भारतीय विद

दीक्षित दनकौरी का ग़ज़ल संग्रह ' सब मिट्टी ' का लोकार्पण एवम शायर अंबर खरबंदा को 'ग़ज़ल कुंभ 2023 सम्मान

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० इरफ़ान राही ०  हरिद्वार, उत्तराखंड-अंजुमन फ़रोग़ ए उर्दू व बसंत चौधरी फाउंडेशन, नेपाल के सौजन्य से हरिद्वार में दो दिवसीय ग़ज़ल कुंभ का आयोजन किया गया,जिसका उद्घाटन विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने किया। चार सत्रों में हुए इस दो दिवसीय ग़ज़ल कुंभ में देशभर से पधारे लगभग 150 गजलकारों ने शानदार ग़ज़ल पाठ किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में नेपाल से डा श्वेता दीप्ति एवम मुख्य अतिथि के रूप में डा मधुप मोहता ( IFS) और शैलेंद्र जैन अप्रिय (अमर भारती) पधारे। इस अवसर पर प्रख्यात शायर दीक्षित दनकौरी के सद्य प्रकाशित ग़ज़ल संग्रह ' सब मिट्टी ' का लोकार्पण एवम देहरादून के वरिष्ठ शायर अंबर खरबंदा को 'ग़ज़ल कुंभ 2023 सम्मान ' प्रदान किया गया। आयोजक संस्था अंजुमन फरोगे उर्दू के अध्यक्ष मोईन अख्तर अंसारी ने सभी गणमान्य अतिथियों का माल्यार्पण द्वारा स्वागत किया। ज्ञातव्य है कि पिछले 18 वर्षों से प्रतिवर्ष निरंतर ग़ज़ल कुंभ का आयोजन होता आ रहा है जिसमें देश भर के सैकड़ों वरिष्ठ और नवागंतुक ग़ज़लकार ग़ज़ल पाठ कर चुके हैं।

आज की पत्रकारिता को गांधी का मार्ग दिखाया जाए

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० आशा पटेल ० जयपुर । कुमार प्रशांत का कहना था कि हमें एक्शन एवं कमिटमेंट के साथ शब्दों को आकार देना चाहिए। गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सार्वजनिक जीवन में उतरते हुए नई सोच को जमीन पर उतारने के लिए नए कर्म के आगाज के रूप में इंडियन ओपिनियन नामक पत्र प्रारम्भ किया। भारत में चंपारण सत्याग्रह के उदाहरण के माध्यम से उन्होंने भयमुक्त पत्रकारिता का उल्लेख किया। यंग इडिया, हरिजन आदि समाचार पत्रों के माध्यम से सामाजिक न्याय और समानता के लिए आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में संयम आवष्यक है एवं सत्य की आवाज को बुलंद किया जाना चाहिए। महात्मा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ गवर्नेन्स इन सोशल साइंस में महात्मा गांधी की पत्रकारिता : समसामयिक सन्दर्भ पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि प्रसिद्ध गांधी विचारक कुमार प्रशांत रहे। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का प्रारम्भ सुब्बाराव के गीत जय जगत जय जगत से हुआ। इसके उपरांत संस्था के अकादमिक सलाहकार प्रो. संजय लोढ़ा ने संस्थान की गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान का उद्देष्य गांधीवादी मूल्यों एवं आदर्शों को नई पीढ़ी तक पह

“श्रुति अमृत” के तहत ‘म्यूजिक इन द पार्क’

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० संवाददाता द्वारा ०  नयी दिल्ली - स्पिक मैके- द सोसाइटी फॉर प्रोमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंगस्ट यूथ, एक स्वैच्छिक युवा आंदोलन है जो भारतीय शास्त्रीय, लोक संगीत एवं नृत्य, योग, ध्यान, शिल्प, और भारतीय संस्कृति के अन्य पहलुओं से संबंधित कार्यक्रमों एवं कार्यशालाओं का आयोजन करके भारतीय और विश्व विरासत के मूर्त तथा अमूर्त पहलुओं को बढ़ावा देता है। इस आंदोलन की शुरुआत 1977 में हुई और दुनिया भर के 850 से अधिक शहरों में इसकी शाखाएं हैं। स्पिक मैके इस साल संस्कृति मंत्रालय और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के सहयोग से “श्रुति अमृत” नाम से अपनी बेहद लोकप्रिय ‘म्यूजिक इन द पार्क’ श्रृंखला का आयोजन कर रहा है। इसके तहत देश भर के प्रतिष्ठित कलाकार भारतीय शास्त्रीय संगीत की सुंदरता को प्रदर्शित करते हैं।इसी कड़ी म नई दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित नेहरू पार्क में हुआ।संगीत के इस कार्यक्रम की शुरुआत सेनिया बंगश घराने की सातवीं पीढ़ी के संगीतकार अमन अली बंगश के सरोद वादन से हुई। उनका साथ अनुब्रत चटर्जी (तबला) और अभिषेक मिश्रा (तबला) ने दिया। इसके बाद, पटियाला घराने की पद्म भूषण बेगम परवीन सु

मशरक में भाजपा कार्यकर्ताओं ने शिक्षा मंत्री का पुतला फूंकते हुए उन्हें बर्खास्त करने की मांग की

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०  संत कुमार गोस्वामी ०  बिहार ,मशरक (सारण) मशरक प्रखंड अंतर्गत मशरक नगर पंचायत क्षेत्र के हनुमान मंदिर चौक एन एच 227-ए और एस एच 90 मुख्य सड़क पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह के द्वारा हिंदू आस्था का महान ग्रंथ रामचरितमानस के उत्तरकांड एक एकांश को लेकर अमर्यादित टिप्पणी को लेकर पुतला का दहन किया, साथ ही साथ बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से शिक्षा मंत्री को बर्खास्त करने की मांग किया। पुतला दहन करने के पहले शिक्षा मंत्री के पुतले को महाराणा प्रताप चौक से हनुमान मंदिर चौक तक पैदल मार्च करते हुए शिक्षा मंत्री मुर्दाबाद का नारा लगाया गया।  पुतला दहन में उपस्थित लोगों ने शिक्षा मंत्री के अमर्यादित टिप्पणी के प्रति करी प्रतिक्रिया व्यक्त किया गया साथ ही साथ यह भी कहा गया कि अगर शिक्षा मंत्री को बिहार सरकार के द्वारा बर्खास्त नहीं किया गया तो बहुत बड़ी आंदोलन करते हुए सरकार के विरुद्ध अभियान चलाया जाएगा। शिक्षा मंत्री का पुतला दहन कार्यक्रम में मुख्य रूप से भाजपा पार्टी के वरिष्ठ नेता रजनीश कुमार पांडेय, भाजपा मंडल अध्यक्ष

BIHAR भाजपा कार्यकर्ताओं ने शिक्षा मंत्री का पुतला फूंका { Qutub Mail }

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महिला सशक्तीकरण का नारा छद्म है : डॉ. मुरली मनोहर जोशी

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली - जगदीश ममगाई की पुस्तक सिहरन का विमोचन करते हुए डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि समाज में नारी को हो रही तकलीफ के अनुभव ने लेखक जगदीश ममगाँई के शरीर व आत्मा में सिहरन पैदा की जिसका परिणाम यह पुस्तक है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण का नारा छद्म है, सशक्तीकरण आप अपनी माँ का करने की बात कह रहे हो, जिस महिला ने आपको जन्म दिया वह दुर्बल कैसे कही जा सकती है! कुछ लोग सीता-सावित्री को सशक्त महिलाओं का प्रतीक नहीं मानते, लेकिन यह सीता ही थीं जिन्होंने एक बार अपना तिरस्कार होने के बाद राम को भी स्वीकार नहीं किया।  शहरी मामलों के विशेषज्ञ एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय सह-संयोजक लेखक जगदीश ममगांई की छठी पुस्तक ‘सिहरन’ का विमोचन दिल्ली में हुआ। पुस्तक ‘सिहरन’, सामाजिक विभेद के दंश से आहत नारी के विभेद, उसकी वेदना, उसका विद्रोह एवं विजेता बन कर उभरने को स्थापित करती है, रुढ़िवादिता को नकार कर समाज एवं देश के सर्वांगीण विकास में संघर्षरत नारी के जियालेपन के उल्लेख की एक कोशिश है। उदंकार एनजीओ द्वारा आयोजित विमोचन कार्यक्रम में शिक्षाविद व पूर्व केन्द्रीय मं