ये खेल- खिलौने बहुत हुए
सुषमा भंडारी ये खेल- खिलौने बहुत हुए ये खेल- खिलौने बहुत हुए मैं लड़की अब कमजोर नहीं हर युग में रहा है जग दुश्मन पर बहुत हुआ अब और नहीं झांसी में बजी थी रण भेरी$$$$$$$$$$$$री-2 दुश्मन का कोई ठौर नहीं ये खेल- खिलौने बहुत हुए मैं लड़की अब कमजोर नहीं पिछड़ी-पिछड़ी सी रही सदा लड़कों जैसा कोई गौर नहीं पैरों पे खड़ी है अब लड़की $$$$$$$$$$$$$$$-2 लौटेगा अब वो दौर नहीं ये खेल- खिलौने बहुत हुए मैं लड़की अब कमजोर नहीं अब जान लिया है सत्य को कमजोरी के इस तथ्य को मुझसे ही चलती है सृष्टि $$$$$$$'$$$$$$$-2 मुझबिन ये उज्ज्वल भोर नहीं ये खेल- खिलौने बहुत हुए मैं लड़की अब कमजोर नहीं आरती का दीप आरती का दीप हूं मैं मुझको न अंगार दो भारती पर मैं समर्पित भारती पर वार दो ।। मुझसे रौशन देश मेरा है उजाला हर जगह मैं कलम का हूं सिपाही सँग न हथियार हो।। राम लक्ष्मण की धरा ये हैँ यहाँ हनुमान भी लाँघ जायेंगे समन्दर चाहे तूफाँ धार हो ।। नफरतों के बीज न रौपो दिलो- दिमाग में आग क्या भड़काओगे हम रोक लें चिंगार को।। गन्ध- बारूदी, घरों से आ रही क्यूं हर तरफ सूर्य हाथों में लिए हम बाँटते उजियार को।। खुशबुओं से आज भर