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प्रो. पूरनचंद टंडन का अभिनंदन और 'साहित्याक्ष’ का लोकार्पण

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० योगेश भट्ट ०   नई दिल्ली - दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रो. पूरनचंद टंडन के सम्मान में अभिनंदन स्वरूप उनके मित्रों, शिष्यों एवं अनुयायियों द्वारा एक विशिष्ट कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रो. पूरनचंद टंडन के व्यक्तित्व और कृतित्व, उनके अनुभव और उनके जीवन से जुड़े संस्मरण, साक्षात्कार आदि के संकलन 'साहित्याक्ष' का लोकार्पण मंचस्थ विद्वानों द्वारा किया गया| इस कार्यक्रम में भारतवर्ष के विश्वविद्यालयों से विभिन्न प्रोफेसरों ने प्रो. टंडन के सम्मान में अपने उद्गार व्यक्त किए। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. बलराम पाणि थे| कार्यक्रम अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित एवं विशिष्ट अतिथियों - राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के अधिष्ठाता प्रो. नंद किशोर पांडे, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की अध्यक्षा प्रो. कुमुद शर्मा, मुंबई विद्यापीठ हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय ने मंच को गरिमा प्रदान की|  विशिष्ट आमंत्रित विद्वानों में लखनऊ से प्रो. हरिशंकर मिश्र एवं प्रो. पवन अग्र

प्रधानमंत्री का सपना,नशा मुक्त भारत हो अपना

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०  विनोद तकियावाला ०  नयी दिल्ली - भारत इन दिनों अपनी आजादी के 75वें बर्ष में प्रवेश कर अमृत महोत्सव मना रहा है।इस अमृत काल का श्रेय निश्चित रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह व उनके टीम के सभी सदस्यों को जाता है। जिन्होने राष्ट्र के चहुँ मुखी विकाश की दिशा में सरकार व जनता के बीच में ना केवल सम्पर्क,संवाद व सहयोग स्थापित बल्कि प्रधान मंत्री के सपनो को साकार करने के लिए दिन रात कडी मेहनत किया है।किसी भी राष्ट्र का विकाश वहाँ की जनता के विकास पर निर्भर करता है। खुशहाल जनता से समाज व राष्ट्र का विकाश होता है।इसमें स्वास्थ्य की अंहम भूमिका होती है। यह तभी सम्भव है जब हमारा समाज नशा मुक्त हो। भारत विश्व गुरु बने,इसके लिए मोदी ने नशा मुक्त भारत का सपना देखा है।जिसे साकार के लिए दृढ इच्छा शक्ति व संकल्प जरूरत है।आप को बता दे कि इस दिशा में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की बहु-आयामी व व्यापक रणनीतियाँ तैयारी की है।जिसके आशातीत परिणाम आ रहे है।शाह के कुशल नेतृत्व में नशीले पदार्थों के कारोबार को खत्म करने में अचुक हथियार साबित हो रही हैं।सर्व विदित र

IPL मैच को मिले 40 फीसदी कम एडवरटाइजर्स, डिजिटल ने लगाई बड़ी सेंध

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० संवाददाता द्वारा ०  टीवी पर पहले मैच में एडवरटाइज़र 52 से घटकर हुए 31 / कुल टीवी प्रायोजक भी 16 से घटकर 12 हुए डिजिटल को मिला 125 से अधिक एक्सक्लूसिव एडवरटाइज़र्स का साथ नई दिल्ली : आईपीएल में एक नया ट्रेंड सामने आया है। टीवी को छोड़ विज्ञापनदाता डिजिटल की ओर रुख कर रहे हैं। बार्क इंडिया की टीवी रेटिंग में जहां पिछले साल पहले मैच में करीब 52 एडवरटाइज़र्स ने टीवी पर विज्ञापन दिये थे। वहीं इस वर्ष मात्र 31 विज्ञापनदाता ही नजर आए। यानी 40 फीसदी विज्ञापनदाताओं ने टीवी ब्रॉडकास्टिंग से मुंह मोड़ लिया है।पिछले आईपीएल सीज़न में टीवी पर विज्ञापन देने वालों की संख्या करीब 100 थी। टीवी इस बार 100 एडवरटाइजर्स का आंकड़ा छू पाएगा यह बेहद मुश्किल लगता है। टीवी पर प्रायोजकों की संख्या में भी कमी आई है,  पिछले साल 16 प्रायोजक थे जो घटकर इस साल 12 रह गए। इन 12 में से भी एक प्रायोजक तीसरे मैच से जुड़ा है। रिलायंस से जुड़ी कंपनियां विज्ञापनदाताओं की लिस्ट से पूरी तरह गायब हैं। वजह है रिलायंस समूह की कंपनी वायकॉम-18, जिसे आईपीएल के डिजिटल ब्राडकॉस्टिंग राइट्स मिले हैं। टीवी का साथ छोड़ने वाले अन्य बड़े

सचिन पायलट के निशाने पर वसुंधरा,गहलोत : 11 अप्रेल को अनशन की घोषणा

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० आशा पटेल ०  जयपुर / पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर भ्रष्टाचार के लगे आरोपों की जांच करने की मांग की है वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लंबे समय से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर संजीवनी घोटाले पर लगे आरोपों की जांच की मांग केंद्र से करते आ रहे हैं! सचिन पायलट अब आरपार के मूड में हैं उन्हें सबसे बड़ा खतरा भाजपा में यदि किसी से है तो वह वसुंधरा राजे से है वहीं मुख्यमंत्री गहलोत को सबसे बड़ा खतरा गजेंद्र सिंह शेखावत से है! अब सचिन पायलट ज्यादा लंबे इंतजार के मूड में नहीं हैं!जहां उन्हें आम आदमी पार्टी का भरपूर सहयोग मिल रहा है वहीं आरएलपी के संयोजक हनुमान बेनीवाल भी उनसे हाथ मिलाने को तैयार नजर आ रहे हैं! पायलट ने मुख्यमंत्री पर सीधा हमला बोला तथा राजे के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार की जांच नहीं होने पर 11 अप्रेल को अनशन की घोषणा भी की ! मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा वसुंधरा राजे का गठबंधन जगजाहिर है, सचिन पायलट भी अब गजेंद्र सिंह शेखावत से हाथ मिला भाजपा में अपनी पैठ बनाने लगे हैं ताकि कांग्रेस में तवज्जो नहीं मिलने पर आम आदमी

अक्षय पात्र में गीता कॉन्टेस्ट के विजेताओं को दिए गए एक लाख तक के नगद पुरस्कार

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० आशा पटेल ०  जयपुर | हरे कृष्ण मूवमेंट जयपुर के सांस्कृतिक शिक्षा सेवा विभाग एवं कृष्ण भावनामृत सेंटर ) के संयुक्त तत्वावधान में गीता कॉन्टेस्ट प्रतियोगिता 2022-23 का पुरस्कार वितरण समारोह आयोजन किया गया। गीता कॉन्टेस्ट के विजेताओं को दिए गए एक लाख तक नगद पुरस्कार एवं ट्रॉफी के साथ प्रमाणपत्र दिये गये। पुरस्कार वितरण समारोह में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ओके प्लस के अध्यक्ष ओम प्रकाश मोदी एवं हरे कृष्णा मूवमेंट राजस्थान के उप अध्यक्ष अनंत शेष दास एवं गीता कांटेस्ट कार्यक्रम समन्वयक सिद्ध स्वरूप दास उपस्थित रहे | कार्यक्रम का शुभारम्भ ओम प्रकाश मोदी एवं अनंत शेष दास ने भगवान श्री कृष्ण बलराम के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया एवं पुष्पांजलि अर्पित की | गीता कॉन्टेस्ट प्रतियोगिता का आयोजन पूरे देश भर में हुआ जिसमें हजारों विद्यार्थियों ने उत्साह के साथ भाग लिया | गीता कांटेस्ट कार्यक्रम समन्वयक सिद्ध स्वरूप दास ने बताया कि गीता कांटेस्ट का आयोजन हरे कृष्णा मूवमेंट एवं कृष्ण भावनामृत सेंटर के सहयोग से राजस्थान स्तर पर किया गया |  जिसमे अनिरुद्ध चौधरी (बीसीए विद्याथी) ने प्रथम पुरस्कार गीता रत

संवैधानिक अधिकारों के समक्ष वर्तमान समय की चुनौतियां" अ भा जनवादी महिला की गोष्ठी में चर्चा

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० आशा पटेल ०  जयपुर -/  बेटा-बेटी की सामाजिक भेदभाव की धारणा प्रत्यक्ष तौर देखी जा सकती है। महिलाओं के सामाजिक भेदभाव ही नही आर्थिक और राजनीतिक भेदभाव जारी है। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन आज भी हम कई क्षेत्रों में देख रहे हैं। क्यों पूर्ण बहुमत की सरकार होकर भी भाजपा की केंद्रीय सरकार ने महिलाओं को संदन में बराबरी का कानून नहीं किया है? 33% हिस्सेदारी पर तो राजनीतिक सहमति बनी हुई थी, फिर भी संसद के समक्ष लंबित विधेयक आज तक क्यो पारित नहीं किया गया? अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में महिलाओं की समानता ,स्वतंत्रता और सामाजिक रूढ़ियों से मुक्ति के लिए निरंतर जारी संघर्ष की समीक्षा कर भावी कार्यक्रम पर विचार किया गया। इस बैठक में देश के 23 राज्यों के साथ राजस्थान के सभी प्रमुख जिलों में इसकी इकाइयों की महिला साथियों ने महिलाओं की स्थिति के साथ साथ आम आदमी के जीवन से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार आदि पर विचार किया और सम्मानजनक जीवनस्थतियों को हासिल करने के लिए निरंतर संघर्ष करने का संकल्प लिया गया।

पुरुष समाज को बेनक़ाब करती फ़िल्म "पिंजरे की तितलियां"

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० तबस्सुम जहाँ ०  " पिंजरे की तितलियाँ " फ़िल्म में दिखाया परिवेश हमारे मुख्यधारा समाज के लिए टैबू हो सकता है पर यह भी सत्य है कि भारत से सटे पाकिस्तान तथा बांग्लादेश बॉर्डर पर ऐसे अनेक गाँव हैं जहाँ पर कुछ परिवारों मे पीढ़ीगत वेश्यावृत्ति का काम होता है। इन परिवारों में बेटी जन्म को खुशी का कारण माना जाता है क्योंकि वह इनके पेशे को आगे बढ़ाती हैं। परिवार के सभी पुरूष बहन-बेटियों से वेश्यावृत्ति कराते हैं उनके लिए यही परिवार की जीविकोपार्जन का साधन हैं। ऐसे ही एक परिवार की विद्रूपता की सच्ची कहानी है डायरेक्टर आशीष नेहरा की फ़िल्म "पिंजरे की तितलियां" तितलियों का काम है उड़ना फूलों और बागों में। यहाँ "उड़ना" स्त्री के संदर्भ में कल्पना या ऊंची उड़ान से है पर तितलियों को कैद कर दिया गया है। पिंजरे की तितलियां यानी वेश्यावृत्ति यानी धंधा करने वाली स्त्रियां भी स्वतंत्र नहीं है बल्कि पुरुषवादी वर्चस्व की शिकार है। वे इतनी आहत है कि कभी वह आत्महत्या करने को मजबूर होती हैं तो कभी अपने सगे पिता के सामने समर्पण करने को विवश होती है। ख़ुद अपने ही घर में उन्हें जिस्मफरोश