सहज, सरल, मधु भाषिणी, हिन्दी तीर्थ धाम
० सुषमा भंडारी ० हिंदी का उत्थान ही,है मेरा उत्थान सोचे गर हर भारती, रूठे ना मुस्कान। शिक्षा की नव नीतियां , लाई हैं उपहार मातृ भाषा कह रही , हिन्दी से परिवार। हिन्दी का गुणगान ही, है भारत की शान। हिंदी की पहचान, से, हों राहें आसान।। अंग्रेजी है दूसरी, है सौतन स्वरूप। हिन्दी ममता से भरी, इसका रूप अनूप।। हिंदी का आधार ही, है सेतु समकक्ष। तकनीकी आधार से, ये ही सब से दक्ष ।। सहज, सरल, मधु भाषिणी, हिन्दी तीर्थ धाम ।। जन- मन को ये जोडती, देती नित आयाम।।