भारतीय संविधान की अस्मिता को जानने-समझने की कोशिश
पुस्तकः भारतीय संविधान-अनकही कहानी लेखकः राम बहादुर राय प्रकाशकः प्रभात पेपर बैक्स, 4/19- आसफ अली रोड, नई दिल्ली मूल्य -700 रूपए, पृष्ठ -502 ० समीक्षक - प्रो.संजय द्विवेदी ० अपने देश को कम जानने की एक शास्वत समस्या तो अरसे से बनी ही हुई है, जिसका हल आज तक हमारे विद्यालय, परिवार और संस्थाएं नहीं खोज पाई हैं। इसलिए ‘भारत को जानो’ और ‘भारत को मानो’ जैसे अभियान देश में चलाने पड़ते हैं। राष्ट्रीय आंदोलन में समूचे समाज की गहरी संलग्नता के बाद ऐसा क्या हुआ कि आजादी मिलने के बाद हम जड़ों से उखड़ते चले गए। गुलाम देश में जो ज्यादा ‘भारतीय’ थे, वे ज्यादा ‘इंडियन’ बन गए। ‘स्वराज’ के बजाए ‘राज्य’ ज्यादा खास और बड़ा हो गया। देश में आजादी और लोकतंत्र की लड़ाई लड़ने वाले नायक ही गहरी अलोकतांत्रिक वृत्तियों के शिकार हो गए। ऐसे में भारतीय संविधान आज भी न जाने कितने भारतीयों के लिए अबूझ पहली बना हुआ है तो कोई चौंकाने वाली बात नहीं है। जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तब हमें अनेक बातों के विहंगावलोकन के अवसर मिले हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के साथ ही यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती का