शिक्षक दिवस कहीं उपहार दिवस बनकर न रह जाए••••••
गुरर्ब्रह्मा: गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवोन्महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्म:, तस्मै श्री गुरवे नमः ' यह प्रश्न विचारणीय है । जिनके लिए इस दिन का विशेष महत्व होना चाहिए वही इससे दूूूर जा रहे हैं।आज गुरु अर्थात् शिक्षक अपना रास्ता भूला बैठा है। आज उसकी आँखे किसी शिष्य के मार्गदर्शन का कारक नहीं बन रही । यदि हम चाहते हैं कि हमारा देश वास्तविक रूप से उन्नति करे और शक्तिशाली राष्ट्र बने तो हमें भारतीय शिक्षक को उसके स्थान पर पुन: प्रतिस्थापित करना होगा ।उसके लिए समाज को भी अपना धर्म निभाना होगा । शिक्षक को भी समझना होगा कि केवल 'अक्षर ज्ञान ' देना मात्र ही उसका कर्तव्य नहीं अपितु उसका सही मार्गदर्शन भी करना होता है । ० सुरेखा शर्मा ० स्वतंत्र लेखिका / समीक्षक 0 प्रतिवर्ष 5 सितंबर का दिन सम्पूर्ण भारत वर्ष में 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाया जाता है ।सर्व विदित है महान दार्शनिक, लोकप्रिय शिक्षक सर्वपल्ली डा• राधा कृष्णन का जन्म दिवस ही "शिक्षक दिवस "के रूप में मनाया जाता है । जिनका जन्म 5 सितंबर 1888 को आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के शैव तीर्थ तिरुत्रणी में हुआ