जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में वैदिक साहित्य में राष्ट्रीय एकता और विश्वबन्धुत्व को लेकर राष्ट्रीय संगोष्ठी
० योगेश भट्ट ० नयी दिल्ली - जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली के संस्कृत विभाग के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में मानविकी - भाषा संकाय के अध्यक्ष प्रो मो . ईशाक ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज के इस सत्र में वैदिक साहित्य के माध्यम से सत्य के बहुआयामी पक्षों को बड़े ही सहकारी रुप में पेश किया गया है जो सयम की मांग है । उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी विवेकानन्द जिस विश्वबंधुत्व की बात करते थे उसमें सारी दुनिया को विश्वास करना चाहिए ,ताकि दुनिया में अमन चैन फिर सेआ सके । कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष तथा वेद विद्या के जाने माने विद्वान प्रो राजेश्वर प्रसाद मिश्रा ने कहा कि वैदिक ऋषि की दृष्टि में राष्ट्र की परिकल्पना संपूर्ण धरा के रुप में मानते हैं । उन्होंने ऐतरेय ब्राह्मण का हवाले कहा कि राष्ट्र वहीं होता है जहां प्रजा सुखी संपन्न होती है और इसका भी ध्यान रहे कि वेद में राष्ट्र को भूमि के अर्थ में भी लिया गया है । प्रो मिश्रा ने इस बात पर बल देते आगे यह भी कहा कि बन्धुत्व को मजबूत तथा पारदर्शी बनाये रखने के लिए यजुर्वेद जो वाणी में समान